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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दिया
jantaserishta.com
11 Jan 2022 8:33 AM GMT
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दे दिया है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में मंगलवार को बड़ी हलचल हुई है. बताया जा रहा है कि वह जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का साथ छोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा) ज्वॉइन कर सकते हैं.
पडरौना से 3 बार के विधायक हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
पडरौना विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो इस सीट से पहले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जगरनाथ मल्ल को विधानसभा में भेजा. 1957, 1962 और 1967 में कांग्रेस के चंद्रदेव तिवारी, 1969 में पडरौना स्टेट के वारिस सीपीएन सिंह विधायक निर्वाचित हुए.
पडरौना सीट से 1974 में भारतीय क्रांति दल और 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पत्रकार पुरुषोत्तम कौशिक, 1980 में कांग्रेस के बीके मिश्रा, 1985 में लोक दल के बालेश्वर यादव, 1989 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के असगर अली विधानसभा पहुंचे. 1991 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पहली बार जीत का स्वाद चखा और पार्टी के सुरेंद्र शुक्ल विजयी रहे. 1993 में समाजवादी पार्टी (सपा) के बालेश्वर यादव विधायक निर्वाचित हुए तो 1996, 2002 और 2007 में कुंवर सीपीएन सिंह के वारिश कांग्रेस कुंवर आरपीएन सिंह कांग्रेस के टिकट पर लगातार तीन दफे विधायक रहे.
पडरौना विधायक आरपीएन सिंह 2009 के लोकसभा चुनाव में कुशीनगर से सांसद निर्वाचित हो गए. लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद आरपीएन सिंह के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव में पडरौना स्टेट का वर्चस्व खत्म हो गया. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरपीएन सिंह की मां को हरा दिया. स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2012 का विधानसभा चुनाव भी बसपा के टिकट पर जीता.
2017 का जनादेश
पडरौना विधानसभा सीट से दो बार के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा छोड़कर बीजेपी में आ गए. बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को टिकट भी दे दिया. बीजेपी के टिकट पर उतरे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा दी. स्वामी प्रसाद मौर्य को 93 हजार 649 वोट मिले. बसपा के जावेद इकबाल दूसरे, समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस गठबंधन की उम्मीदवार शिव कुमारी देवी को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा.
सामाजिक ताना-बाना
पडरौना विधानसभा सीट के सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो इस सीट की गिनती उन सीटों में होती है जहां अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता अधिक हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में मौर्य बिरादरी के मतदाताओं की भी अच्छी तादाद है. पडरौना विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
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