उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस मामले में पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर की पत्नी ने किया SSP आगरा को मेल, कहा- करें एफआईआर

Kajal Dubey
24 Jun 2022 4:28 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस मामले में पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर की पत्नी ने किया SSP आगरा को मेल, कहा- करें एफआईआर
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पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की आरटीआई एक्टिविस्ट पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर ने आगरा आरटीओ से जारी ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी निकलने के प्रकरण की जांच कराने के लिए एसएसपी आगरा, आरटीओ को मेल किया है। इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा है कि यह लोगों के साथ सीधी धोखाधड़ी है। वहीं इस प्रकरण को लेकर परिवहन विभाग में हड़कंप मचा रहा। आरटीआई एक्टिविस्ट के मूल लाइसेंस की तलाश लखनऊ के दोनों आरटीओ में की गई।
लखनऊ निवासी डॉ. नूतन ठाकुर ने कहा है कि उनके पास कई वर्षों से एक ड्राइविंग लाइसेंस था, जो 23, जवाहर बाग, आगरा से निर्गत था। लाइसेंस में निर्गत किए जाने की तिथि 26 जुलाई 2006 अंकित थी और इस पर लाइसेंस निर्गत करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर भी थे। नूतन के अनुसार यह लाइसेंस विगत कई वर्षों से लगातार इस्तेमाल कर रही थीं। डॉ. नूतन ने बताया कि उनका मूल ड्राइविंग लाइसेंस वर्ष 2002 के आसपास लखनऊ से बनवाया था। उन्होंने 2006 में पूरे पृष्ठ पर निर्गत पुराने फॉर्मेट के लाइसेंस के स्थान पर आइडेंटिटी कार्ड के साइज़ के ड्राइविंग लाइसेंस हेतु आगरा कार्यालय में अपना पुराना लाइसेंस प्रस्तुत कर नए फॉर्मेट का लाइसेंस बनवाया था, जोकि जांच में फर्जी निकला है। उन्होंने इस ड्राइविंग लाइसेंस का फर्जी पाया जाना एक गंभीर मामला बताते हुए एफआईआर दर्ज कर विवेचना की मांग की है।
पूरे दिन खोजा गया तो महानगर कार्यालय में मिल गया डीएल
डॉ. नूतन ठाकुर के ड्राइविंग लाइसेंस का आगरा आरटीओ में रिकार्ड नहीं मिलने पर हड़कंप मच गया। इसके बाद आगरा के साथ ही लखनऊ के दोनों आरटीओ कार्यालयों में लाइसेंस की तलाश की गई। लखनऊ के महानगर आरटीओ में डॉ. नूतन के मूल लाइसेंस का रिकॉर्ड मिल गया मगर आगरा में यह रिकॉर्ड नहीं मिल सका है।
कार्ड आगरा से ही जारी हुआ
एआरटीओ (प्रशासन) एके सिंह ने बताया कि डॉ. नूतन ठाकुर ने जुलाई 2006 में लखनऊ के मूल लाइसेंस को आगरा आरटीओ में इंबोस कार्ड के रूप में तब्दील करवाया था। इस इंबोस कार्ड में अंकित ब्योरे पर दूसरे व्यक्ति का लाइसेंस दर्ज है। सब्सिडरी केश बुक चेक करवाई गई तो डॉ. नूतन के नाम फॉर्म नंबर सात की 200 रुपये फीस जमा भी नहीं पाई गई। यानी कि इंबोस कार्ड तो बनाकर दे दिया मगर फीस जमा नहीं की गई। इस तरह यह कार्ड फर्जी ही निकला है।
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