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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश : विद्युत संशोधन विधेयक केर खिलाफ बिजलीकार्मियों का प्रदेश भर में प्रदर्शन आज
Renuka Sahu
8 Aug 2022 1:07 AM GMT
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केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को संसद में पेश किए जाने वाले इलेक्ट्रीसिटी बिल-2022 का पुरजोर विरोध करने की तैयारी प्रदेश के बिजली कार्मिकों ने की है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को संसद में पेश किए जाने वाले इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2022 का पुरजोर विरोध करने की तैयारी प्रदेश के बिजली कार्मिकों ने की है। सोमवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजली कार्मिक पूरे दिन विरोध प्रदर्शन करेंगे। इनके विरोध प्रदर्शन से बिजली महकमे का कामकाज बाधित हो सकता है।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वह हस्तक्षेप कर इस बिल को संसद में पेश करने से रोकें। उपभोक्ताओं, बिजली कार्मिकों से चर्चा के बाद ही बिल को प्रस्तुत किया जाए। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारी पल्लव मुखर्जी, प्रभात सिंह, गिरीश पांडेय, सदरूद्दीन राना, सुहेल आबिद, पीके दीक्षित, शशिकान्त श्रीवास्तव, एके श्रीवास्तव, राम सहारे वर्मा आदि ने कहा है कि केंद्र सरकार संसदीय परम्पराओं का उल्लंघन करते हुए यह बिल आठ अगस्त सोमवार को रखने जा रही है। सरकार के इस कदम से पूरे देश के बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा है।
आरोप, बिल पर किसी भी हितधारक की राय नहीं ली गई
इस बिल पर किसी भी हितधारक से राय नहीं मांगी गई है। बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है जिसका अर्थ यह होता है कि बिजली के मामले में क़ानून बनाने में केंद्र और राज्य का बराबर का अधिकार है। बिल पर केंद्र सरकार ने किसी भी राज्य से कमेंट नहीं मांगे हैं। यह संसदीय परम्परा का उल्लंघन है।
हाइडिल फील्ड हास्टल से ऊर्जा मुख्यालय शक्तिभवन तक मार्च करेंगे
पदाधिकारियों ने बताया है कि संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार 8 अगस्त को सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कार्मिक कार्य छोड़कर कार्यस्थल से बाहर आएंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे। लखनऊ सहित सभी जनपदों व परियोजनाओं पर सोमवार 8 अगस्त को कार्मिक सुबह 10 बजे एक स्थान पर एकत्र रहते हुए पूरे दिन विरोध प्रदर्शन करेंगे। लखनऊ में राणाप्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में लखनऊ और लेसा के सभी कर्मचारी 10 बजे एकत्र होंगे और शक्तिभवन तक मार्च करेंगे।
- निजी क्षेत्र की कंपनियां सरकारी क्षेत्र के नेटवर्क से बिजली की आपूर्ति करेंगी।
-सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने की बाध्यता सरकारी कंपनियों की होगी।
- जी क्षेत्र की कम्पनियां कारोबारी नजरिए से केवल मुनाफे वाले औद्योगिक व व्यवसायिक उपभोक्ताओं को बिजली देंगी।
-अनुरक्षण का कार्य सरकारी कंपनी के पास रहेगा जिसके माध्यम से निजी कम्पनियां मात्र कुछ व्हीलिंग चार्जेस देंगी।
-सब्सिडी व क्रॉस सब्सिडी समाप्त की जाएगी जिससे सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से बिजली की पूरी लागत वसूल की जा सके।
- 7.5 हार्स पावर के पम्पिंग सेट को 6 घंटे चलाने पर किसानों को 10 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह का बिल भरना पड़ेगा। यही हाल आम घरेलू उपभोक्ताओं का भी होगा।
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