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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त मुख्य खाद्य निरीक्षक की मृत्यु के 30 वर्ष बाद भी पत्नी को पारिवारिक पेंशन व अन्य परिलाभों से वंचित रखे जाने पर अलीगढ़, एटा व फर्रूखाबाद के मुख्य चिकित्साधिकारी व डीएम को तलब कर लिया। पेंशन रुकने की वजह कर्मचारी की सेवा पुस्तिका का गायब होना बताया गया। हाईकोर्ट ने अधिकारियों के ब्यूरोक्रेटिक रवैए की तीखी आलोचना की। कोर्ट के आदेश पर अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर व्यक्तिगत हलफनामा दिया है।
याची सरस्वती देवी ने बताया कि उनके पति 31 दिसंबर 93 को फर्रूखाबाद से सेवानिवृत्त हुए और 14 दिसंबर 1995 को उनकी मौत हो गई। सेवानिवृत्ति से पूर्व में दो वर्ष एटा और अलीगढ़ में तैनात रहे। मृत्यु के बाद से ही कोई भुगतान विभाग ने नहीं किया गया। सीएमओ फर्रुखाबाद ने डीएम को पत्र लिखा और कहा कि सेवा पंजिका उपलब्ध न होने के कारण पेंशन आदि का भुगतान नहीं किया जा सका। अलीगढ़ व एटा में तैनाती के दौरान के रिकार्ड भी उपलब्ध नहीं है। इस दौरान न जाने कितने अधिकारी आए और चले गए, लेकिन सरस्वती देवी को पेंशन व अन्य लाभ नहीं मिल पाए। इसी तरह 30 वर्ष बीत गए, लेकिन सरस्वती देवी ने हार नहीं मानी और हाईकोर्ट की शरण ली। हैरानी की बात ये है कि सेवा पंजिका के बिना पेंशन व अन्य लाभ तो रोक दिए, वहीं सेवाकाल में वेतन का भुगतान कैसा कर दिया।
सोर्स-jagran
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