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उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: प्लास्टिक सर्जरी से जुड़ सकती है कटी हुई नस, गोरखपुर BRD में हो रहा सफल ऑपरेशन
Kajal Dubey
15 July 2022 6:19 PM GMT
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प्लास्टिक सर्जरी केवल कास्मेटिक सर्जरी तक सीमित नहीं है बल्कि, इसमें जन्मजात विकृति, चेहरे, कैंसर, चोट जैसी सर्जरी शामिल हैं। सही समय पर अगर सर्जरी हो जाए तो विकृतियों को ठीक किया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि माइक्रोसर्जरी विधि से नसों को भी जोड़ा जा सकता है। इसके लिए टिश्यू की जरूरत होती है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इस तरह के मामले हर माह 15 से 20 आ रहे हैं।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रो. प्लास्टिक सर्जन डॉ. नीरज कुमार नथानी ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत हर उस सर्जरी में होती है, जिसमें टिश्यू (त्वचा) की जरूरत होती है। अब नसों को भी माइक्रोसर्जरी विधि से जोड़ने की शुरुआत हो चुकी है। बीआरडी में प्लास्टिक सर्जरी के केस भी बढ़ रहे हैं।
ज्यादातर जलने वाले मरीजों को प्लास्टिक सर्जरी के जरिए ठीक किया रहा है। बीआरडी में इस तरह के केस हर माह 20 से 25 आ रहे हैं, जिनकी सर्जरी कर उन्हें नई जिंदगी दी जा रही है। इसके अलावा रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी, कास्मेटिक सर्जरी के जरिए मरीजों को ठीक किया जा रहा है।
बीआरडी में भी हो रही सर्जरी
डॉ. नीरज ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी चार तरह से होती है। इसमें सबसे अधिक सर्जरी मैग्सिलोफेसिअल इंजरी के दौरान की जाती है। इस सर्जरी में चेहरे या चेहरे के हड्डी के फ्रैक्चर और चोट को ठीक कर पुन: पुराने स्वरूप में बदला जाता है। इसके अलावा जन्मजात विकृति में भी सर्जरी की जाती है। इसमें कटे हुए होठ, कटे हुए तालु आदि शामिल हैं। गंभीर रूप से जले हुए मरीजों की भी सर्जरी की जा रही है।
कटे हाथ की भी की जा रही सर्जरी
डॉ. नीरज ने बताया कि गंभीर चोट की सर्जरी में कटे हाथ भी शामिल हैं। इस तरह की सर्जरी भी की जा रही है। ऐसी सर्जरी में त्वचा के साथ नसों को भी जोड़ा जाता है। इसके अलावा कैंसर की सर्जरी भी की जा रही है। इसमें कैंसर की सर्जरी में प्रभावित हिस्से को काटकर निकाल देने के बाद उसमें टिश्यू जोड़ा जाता है।
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