उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: 21 महिला बस ड्राइवर रोडवेज बसें चलाती दिखेंगी, गृह जनपदों के डिपों में होगी तैनाती

Kajal Dubey
24 Jun 2022 4:54 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: 21 महिला बस ड्राइवर रोडवेज बसें चलाती दिखेंगी, गृह जनपदों के डिपों में होगी तैनाती
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यूपी रोडवेज बसों की स्टीयरिंग थामे कोई महिला दिखे तो हैरान न हों, क्योंकि बस चलाने वाली महिला ड्राइवरों का देश का पहला बैच तैयार हो गया है। इसमें 21 ड्राइवर शामिल हैं। इन्हें कौशल विकास मिशन के तहत उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के विकास नगर स्थित मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में 24 महीनों की ट्रेनिंग दी गई है।
अब हल्के और भारी वाहनों को चलाने में निपुण इन महिलाओं को रोडवेज के प्रदेश के अलग अलग डिपो में इसी महीने के अंत में तैनाती दी जाएगी। इन्हें इनके गृह जनपद के डिपो में 17 महीने तक बसों को चलाने का मौका दिया जाएगा। इसके बाद इन्हें बतौर संविदा चालक रोडवेज में भर्ती कर लिया जाएगा।
महिला ड्राइवरों का देश का पहला बैच
यह अनूठी शुरुआत कौशल विकास मिशन और रोडवेज के संयुक्त प्रयास से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आठ मार्च 2020 को की गई थी। इसके तहत इन्हें 200 घंटे की हल्के वाहन (एलएमवी) की ट्रेनिंग दी गई, जो 35 दिनों में पूरी हुई थी। इसके बाद कोरोना काल में ट्रेनिंग प्रभावित हुई।
22 फरवरी 2022 से इन्हें 400 घंटों की हैवी वाहन यानी बस (एचएमवी) की ट्रेनिंग दी गई। 15 मई को यह ट्रेनिंग पूरी हुई। इस प्रशिक्षण में नियमित कक्षाएं लगी। इंटरव्यू और प्रैक्टिकल शामिल रहा। 17 महीने के लिए डिपो में तैनाती के दौरान इन्हें 6000 रुपये प्रति माह मानदेय मिलेगा। इस दौरान इनसे रोडवेज ड्राइवरों के साथ बतौर सहायक चालक काम लिया जाएगा। इस ट्रेनिंग के बाद इसके बाद संविदा चालक के तौर पर मिली नौकरी में 1.59 रुपये प्रति किमी के हिसाब से मासिक मानदेय मिलेगा।
पति काटेंगे टिकट, वेद कुमारी चलाएंगी बस
गाजियाबाद की रहने वाली वेद कुमारी ने भी ट्रेनिंग पूरी कर ली है। इन्हें 17 महीने के लिए नोएडा-गाजियाबाद में तैनात करने की सिफारिश की गई है। इनके पति मुकेश कुमार गाजियाबाद डिपो में बस कंडक्टर हैं। वेद कुमारी ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं। 14 साल का सूर्यकांत और दो साल की भाविका।
बेटे को ससुराल में छोड़ा और बेटी को सवा साल तक अपने साथ कानपुर में इंस्टीट्यूट में रहकर ट्रेनिंग ली। इसके बाद सास ससुर के पास छोड़ आई। पति गाजियाबाद में नौकरी करते हैं। उन्होंने बताया कि मै और मेरे पति दोनों चाहते थे कि बस ड्राइविंग सीखी जाए। आमतौर पर बस चलाना पुरुषों का पेशा माना जाता है। इस मिथक को तोड़ने की भी जिद थी।
यह देश का पहला महिला ड्राइवरों का बैच है, जिसने कौशल विकास मिशन के तहत बाकायदा ट्रेनिंग ली है। सभी सफल 21 प्रशिक्षु बेहतरीन ड्राइवर हैं। इस महीने के अंत तक इन्हें इनके गृह जनपद या जहां रहती हैं, वहां के करीबी डिपो में 17 महीने की तैनाती देने का पत्र मुख्यालय को भेजा है।
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