उत्तर प्रदेश

शोध में नई तकनीक का करें इस्तेमाल: डॉ. त्रिवेणी

Admindelhi1
22 March 2024 7:20 AM GMT
शोध में नई तकनीक का करें इस्तेमाल: डॉ. त्रिवेणी
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दस दिवसीय डीएसटी-एसईआरबी प्रायोजित उच्च-स्तरीय कार्यशाला शुरू की गई

बरेली: भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग में ‘हैंड्स ऑन ट्रेनिंग ऑन बेसिक एंड एडवांस्ड टेक्निक्स फॉर बैक्टीरियल एंड फंगल डिजीज डायग्नोसिस’ पर दस दिवसीय डीएसटी-एसईआरबी प्रायोजित उच्च-स्तरीय कार्यशाला शुरू की गई. इस कार्यशाला में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उतराखंड, पंजाब राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, नई दिल्ली, पुंडुचेरी सहित विश्वविद्यालयों एवं राष्ट्रीय संस्थानों से मास्टर्स और पीएचडी के 20 प्रशिक्षु शामिल हुए हैं.

संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने सभी छात्रों को शोध में नई तकनीक अपनाने की सलाह दी. इस अवसर पर एक ई-मैनुअल का भी विमोचन किया गया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ. अजीत सिंह यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों में कौशल निर्माण करना भी है. जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पी दंडापत ने कार्यशाला में विभिन्न परम्परागत एवं नई तकनीकों पर प्रतिभागियों को जानकारी दी. पाठ्यक्रम निदेशक डॉ अभिषेक ने कार्यशाला की रूपरेखा बताई. संयुक्त निदेशक कैडराड डॉ. केपी सिंह, संयुक्त निदेशक शैक्षर्णिक डॉ एसके मेंदीरत्ता, डॉ. हिमानी धांजे, डॉ आर एस पवेय्या, डॉ. शुभाश्री बंधोपाध्याय, डॉ किरण भिलेगांवकर, डॉ वीके चतुर्वेदी, डॉ बीआर व अन्य थे.

डॉक्टर आए देरी से, दिव्यांगों को करना पड़ा लंबा इंतजार: प्रमाण पत्र की खातिर दिव्यांगों को एक बार फिर परेशानी का सामना करना पड़ा. भीड़ के बीच कई दिव्यांग व्हीलचेयर पर लाइन में लगे रहे. हालांकि इस बार स्वास्थ्य विभाग की तरफ से शिविर में दिव्यांगों की बैठने की व्यवस्था की गई थी और वहां बेंच लगाई गई थी. जिला अस्पताल में सीवर लाइन की खुदाई के चलते रास्ता बाधित हो गया है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में दिव्यांग प्रमाण पत्र शिविर का आयोजन किया गया. शिविर में दिव्यांगों की काफी भीड़ रही. सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे लोगों को हुई जिनको चलने में परेशानी थी. कई दिव्यांग प्रमाण पत्र की खातिर व्हील चेयर पर ही लाइन में लग गए. इस बार भी डॉक्टर देरी से आए. डेढ़ घंटे तक दिव्यांगों को इंतजार करना पड़ा.

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