उत्तर प्रदेश

यूपी : 'पीडीए' के प्रयोग, इंडिया का समर्थन और परिवार की एकजुटता ने सपा की आसान की राह

Tara Tandi
9 Sep 2023 5:28 AM GMT
यूपी : पीडीए के प्रयोग, इंडिया का समर्थन और परिवार की एकजुटता ने सपा की आसान की राह
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पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के प्रयोग, इंडिया के समर्थन और अखिलेश यादव के परिवार की एकजुटता ने घोसी में सपा की जीत की राह आसान कर दी। आजमगढ़ और रामपुर का गढ़ ढहने के बाद घोसी की इस जीत ने जहां समाजवादियों का मनोबल बढ़ाया है, वहीं इंडिया के घटक दलों को मजबूती के साथ ऐसे ही आगे बढ़ने का संदेश भी दिया है। बसपा की चुनाव से दूरी, भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह के दलबदल से नाराजगी और पीडीए के नारे के बीच सपा का क्षत्रिय प्रत्याशी उतारना भी उसके लिए मुफीद साबित हुआ।
जून में इंडिया गठबंधन की घोषणा के बाद यूपी में यह पहला चुनाव था। खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव से पहले यह आखिरी उपचुनाव भी था। अब देश और प्रदेश सीधे लोकसभा चुनाव में ही जाएगा। जून 2022 में आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा उप चुनाव में भाजपा ने सपा को करारी शिकस्त दी थी। ये दोनों ही क्षेत्र समाजवादियों के किले माने जाते थे। उसके बाद दिसंबर 2022 में विधानसभा उप चुनाव में रामपुर विधानसभा सीट भी सपा के हाथ से चली गई। यह सीट सपा नेता आजम खां को हेट स्पीच मामले में सजा होने से खाली हुई थी। उपचुनाव में यह सीट भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना को मिली। पहली बार यहां से कोई गैर मुस्लिम प्रत्याशी जीता।
रामपुर के साथ ही खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव में सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी मदन भैया की जीत ने सपा को मरहम लगाने का काम भी किया, क्योंकि पहले यह सीट भाजपा के पास थी। सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता रद्द होने से रामपुर की स्वार सीट पर इसी साल मई में उपचुनाव हुए। इसमें सपा ने हिंदू कार्ड खेलते हुए अनुराधा चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन भाजपा गठबंधन के तहत अपना दल (एस) के मुस्लिम प्रत्याशी शफीक अहमद अंसारी जीते। यानी, सपा का यह किला भी ढह गया।
कारगर रणनीति ने दिलाई कामयाबी
आजमगढ़ और रामपुर के उपचुनाव में प्रचार के लिए अखिलेश नहीं गए थे, लेकिन घोसी उप चुनाव में न सिर्फ उन्होंने सभा की, बल्कि परिवार के लोग भी क्षेत्र में डटे रहे। पार्टी के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव कई दिनों तक वहां डेरा डाले रहे, वहीं महासचिव शिवपाल सिंह यादव भी मतदान के दिन तक आसपास ही जमे रहे। पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव के अलावा पूर्व मंत्री रामगोविंद चौधरी, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप, पूर्व एमएलसी उदयवीर और महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह समेत सभी प्रमुख नेताओं ने घर-घर संपर्क किया।
सपा की रणनीति रही कि आसपास के जिलों के नेताओं को उनके सजातीय मतदाताओं के बीच उतारा जाए, जिसने भी सफलता दिलाने में काफी मदद की। सपा ने विशेष रणनीति के तहत मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। मतदाता सूची पर भी शुरू से ही नजर रखी, ताकि अपने समर्थक मतदाताओं का नाम सूची में शामिल कराना सुनिश्चित किया जा सके।
इंडिया बनाम एनडीए लड़ाई बनाने में रहे कामयाब
अखिलेश यादव ने बार-बार कहा कि यह दो प्रत्याशियों या दो दलों की लड़ाई नहीं है, बल्कि इंडिया बनाम एनडीए गठबंधन की लड़ाई है। यहां की जीत-हार लोकसभा चुनाव के लिए भी संदेश होगी। चुनाव प्रचार में इंडिया के घटक दलों कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, अपना दल (कमेरावादी), सीपीआई और सीपीएम ने भी अपनी टीमें उतारीं। सपा अध्यक्ष के मंच से इन दलों का नाम लेने से उनके कार्यकर्ताओं में भी उत्साह बढ़ा। इससे सपा प्रत्याशी के पक्ष में हवा बनती चली गई।
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