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उत्तरप्रदेश: कहते है कि ख्वाब तो सब देखते हैं, उन्हें सच कर दिखाने वाले विरले ही होते हैं। कानपुर की वैशाली ने हौसले के साथ सपनों को ऊंची उड़ान देकर देश ही नहीं विदेश तक अपनी पहचान बनाई। पुराने टायर के जलने से होने वाला प्रदूषण उन्हें विचलित कर गया। इससे मुक्ति को उन्होंने जीवन का मकसद बना लिया। वह पुराने टायरों के फर्नीचर, बैग, झूले, आउट डोर फर्नीचर, प्लांट बास्केट, गार्डेन चेयर, आउट डोर पूल फर्नीचर बनाने लगीं। शुरू में लोगों ने उपेक्षा की लेकिन अंतत: वह कामयाब हुईं। अब जर्मनी, दुबई, साउथ अफ्रीका, जर्मनी, लंदन तक में प्रदूषण खत्म करने के संदेश के साथ भारत की नारी शक्ति की सोच व साहस की नजीर बनी हैं। विदेश में वैशाली के कबाड़ के फर्नीचर छाए हुए हैं।
एक अच्छी सोच के साथ की गई वैशाली की पहल ने उन्हें एक्सपोर्टर बना दिया है। उनके फर्नीचर विदेश के आउट डोर पूल, गार्डेन, खेल के सामान की मांग है। वैशाली की प्रदूषण के प्रति सचेत करते थीम पार्क भी अनूठे है। हाल ही वैशाली बियानी की कंपनी को केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से सम्मानित किया गया। नई दिल्ली में हुए स्वच्छता स्टार्टअप सम्मेलन में उनकी कंपनी को देश के बेहतरीन 30 स्टार्टअप में चुना गया और 20 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया।
आर्यनगर निवासी वैशाली बताती है कि अक्सर कानपुर की आबोहवा को लेकर चिंतित रहती थीं। उनका सपना था कि वह प्रदूषण के खिलाफ आम जन में अलख जगाने को आगे बढ़ें। उन्होंने टायर से निकलने वाले धुएं के लोगों की सेहत पर बुरे प्रभाव पर किए गए शोध पर अध्ययन किया। इस अध्ययन ने वैशाली के मकसद को दिशा दी। अपने लक्ष्य को पाने के लिए शुरू में वैशाली ने पुराने टायर का इस्तेमाल गार्डेन में डेकोरेशन पीस के रूप में किया। मेहनत व लगन से किए गए उनके काम को समाज व अपनों की वाहवाही मिलने लगी तो राह और मजबूत हो गई। उन्होंने आईआईटी के एक्सपर्ट से संपर्क कर पुराने टायर की रबर के गुण, उनके उत्पादों की फिनिशिंग डेकोर डिजाइन नाम से कंपनी खोल कर प्रदूषण के प्रति लोगों की सोच बदलने का लक्ष्य लेकर काम करना शुरू कर दिया।
वैशाली बताती है कि 2018 में आईआईटी की मदद से स्टार्ट अप प्रारंभ किया। पुराने टायर के गमले, झूले बनाए तो लोगों को पसंद आ गए। ऑनलाइन कंपनी की मदद से पुराने टायरों से बने गमले, खिलौने, झूले का आफ लाइन व आन लाइन कारोबार शुरू किया। अब विदेशों तक में उनके उत्पादों की डिमांड है। जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका व दुबई में यह बढ़ती जा रही है। स्टार्ट अप को आईआईटी से इन्क्य़ूबेट कर रखा है। अब वैशाली के साथ 50 लोग रोजगार पा रहे हैं। बीएससी के बाद मैनेजमेंट डिप्लोमा करने वाली वैशाली नए नए प्रयोग कर रही हैं।
उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी के बाद मैनेजमेंट डिप्लोमा कोर्स किया। उनकी शादी कानपुर के राहुल बियानी से हुई। राहुल उस समय दिल्ली एक रिक्रूटमंट कंपनी चला रहे थे। वैशाली ने पति का कंपनी चलाने में साथ दिया। 2017 में पारिवारिक वजह से कंपनी बंद कर पति-पत्नी लौट कर कानपुर आ गए। पति एक व्हीकल कंपनी के कारोबार से जुड़ गए। यहां पर आकर बियानी ने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने की मजबूती से राह बनाई।
वैशाली ने बताया कि कानपुर नगर निगम व जिला प्रशासन की ओर से पिछले वर्ष उन्हें शहर के प्रसिद्ध मोतीझील पार्क को थीम पार्क के तौर पर सजाने का आर्डर मिला था। उन्होंने पूरे परिसर में पुराने टायरों से बने झूले, कुर्सी, मेजें, चिंपैंजी, हाथी, शेर आदि पशुओं की मूर्तियां लगवाकर इसकी सज्जा की। अब आईआईटी प्रशासन भी परिसर में इसी तरह के झूले, मूर्तियां आदि स्थापित करा रहा है। लखनऊ, रायपुर, तेलंगाना, फिरोजाबाद, प्रयागराज में भी इसी तरह के थीम पार्क बनाने का कार्य उनकी कंपनी को मिला है। उन्नाव में पुराने टायर के पहाड़ बनाने का काम भी शुरू होने वाला है। उन्नाव नगर पालिका से इस संबंध में बातचीत हुई है। कन्नौज में भी एक प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है।
सबसे पहले दुबई से पुराने टायर से बने गमलों का आर्डर ऑनलाइन मिला। फिर जर्मनी से फर्नीचर, झूले का आर्डर मिलने लगा। अब लंदन वालों को भी उनके कान्सेप्ट ने रिझाया है। वहां से भी आर्डर आ रहे हैं। जर्मनी, साउथ अफ्रीका में गार्डेन के फर्नीचर की डिमांड है।
वैशाली ने बताया कि कानपुर प्रदूषित शहरों में से एक है। जब उन्होंने शहर की आबोहवा पर अध्ययन शुरू किया तो पता चला कि पुराने टायरों को जलाकर इससे क्रूड ऑयल निकाला जाता है। निकलने वाला धुआं बेहद हानिकारक होता है। उन्होंने आईआईटी के विशेषज्ञों से पुराने टायर से उत्पाद बनाने के गुण सीखे। यहीं से एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। वैशाली की यात्रा जारी है। वह चाहती है कि विदेशों में भी पर्यावरण के प्रति सचेत करते थीम पार्क बनें।
वैशाली का कहना है कि लोग पुराने टायरों को फेंक देते हैं या बेच देते हैं। अब कानपुर ही नहीं आसपास के जिलों तक से पुराने टायर की यहां खपत हो जाती है। उत्पाद की फिनिशिंग से नहीं लगता है कि पुराने टायर के बने हैं।
एक कुर्सी में तीन टायर जलाने से बचते हैं। 2 से 2.5 टन टायर 11 से 12 फीट एनिमल, चार टायर से पांच फीट के झूले तैयार होते हैं। ग्राउंड चेयर, आउटडोर लिविंग रूम, बिम प्लांटर बास्केट, आउटडोर पूल फर्नीचर, राउंड शेप काफी टेबल, मिनी फ्लावर प्लांट की खूब डिमांड हैं।
Manish Sahu
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