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- UP: गिरोह तोड़ने के...

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सद्दाम को उसके गुर्गों से अलग करने के लिए उसे दूसरी जेल में शिफ्ट किया जा सकता है। अंदरखाने ये तैयारी चल रही है पर अधिकारी कुछ बोलने से बच रहे हैं। जिला जेल में बंद रहे अशरफ के लिए सद्दाम ने जेल के स्टाफ से सेटिंग कर ली थी।
अशरफ जेल में हिंदू-मुस्लिम सभी वर्ग के बंदियों की दावतें करता था, इसलिए अधिकतर बंदियों की उसके प्रति सहानुभूति थी। सद्दाम से दोस्ती कर अशरफ की मदद करने के आरोप में सिपाही मनोज और शिवहरि इसी जेल में बंद हैं।
बरेली में रहकर सद्दाम ने जो नेटवर्क तैयार किया था, उससे जुडे़ लोग भी जिला जेल में बंद हैं। वहीं, प्रयागराज निवासी गुर्गा आतिन भी इसी जेल में है। इन्हीं कारणों से अफसरों को अंदेशा है कि सद्दाम अपने गिरोह के लोगों के साथ मिलकर जेल में रहकर भी साजिश कर सकता है। इसलिए सद्दाम की जेल बदलने पर विचार किया जा रहा है।
सामान्य बैरक में रखने की कर रहा गुहार
क्लब और पार्टियों का शौकीन सद्दाम हाई सिक्योरिटी बैरक की तन्हाई सहन नहीं कर पा रहा है। इस बैरक में लगे कैमरों की मॉनिटरिंग लखनऊ से हो रही है। जेल जाने के चार दिन बाद ही सद्दाम ने जेल अफसरों से सामान्य बैरक में रखने की मांग की थी। हालांकि जेल के अफसरों ने ऐसा करने से साफ इन्कार कर दिया है।
सद्दाम को फिलहाल संवेदनशील बैरक में रहना होगा। सद्दाम को केवल उन्हीं लोगों से मुलाकात करने दी जाएगी, जिनका सत्यापन जेल प्रशासन संबंधित विभागों से करवाएगा।
डीजीपी और एडीजी से सुरक्षा की गुहार
सद्दाम की गिरफ्तारी के बाद उसके भाई अब्दुल रहमान ने सीएम, डीजीपी, बरेली जोन के एडीजी और असदुद्दीन ओवैसी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर भाई को बेकसूर बताते हुए उसकी सुरक्षा की मांग की थी।
अब्दुल रहमान के मुताबिक उमेश पाल हत्याकांड के पहले उस पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं था। हालांकि सच्चाई यह है कि अशरफ के फरार होने के बाद उसे छिपाने का मुकदमा उमेश पाल हत्याकांड से काफी पहले दर्ज हुआ था, जिसमें सद्दाम नामजद है। सद्दाम के भाई ने पहले भी एक्स पर पोस्ट कर यूपी पुलिस को गुंडा बताया था।
'विधायक जी' कहते हैं गैंग के गुर्गे
अशरफ के जेल जाने के बाद उसके गुर्गे सद्दाम को 'विधायक जी' कहकर संबोधित करने लगे थे। खुद अशरफ भी सद्दाम को विधानसभा का चुनाव लड़वाना चाहता था। सद्दाम ने अतीक-अशरफ की पहुंच का हवाला देकर फुरकान और लल्ला गद्दी को भी राजनीति में चमकाने का वादा किया था। सद्दाम अपने गांव में कद्दावर नेताओं के कार्यक्रम कराता था और
भीड़ जुटाकर उन्हें अपनी ताकत दिखाता था। इसलिए गुर्गे उसे 'विधायक जी' कहते हैं। सद्दाम विपक्षी दल के एक कद्दावर नेता को चाचा कहता था और जब चाहता था उनसे फोन पर
बात कर लेता था। इस नेता के साथ सद्दाम के कई फोटो भी वायरल हो रहे हैं। कद्दावर नेता के साथ फुरकान के भी फोटो वायरल हुए थे।
सद्दाम को जालसाजी के दो मुकदमों में भी दी क्लीन चिट
अतीक अहमद व अशरफ के इशारे पर उनके गैंग को चलाने वाले अब्दुल समद उर्फ सद्दाम को धूमनगंज पुलिस ने दो अन्य मुकदमों में भी क्लीन चिट दी थी। अशरफ के साले सद्दाम पर यह दोनों मामले धोखाधड़ी, जालसाजी कर जमीन कब्जाने, गाली-गलौज व धमकी से संबंधित थे।
थाने में सुनवाई न होने पर पीड़ितों की गुहार पर कोर्ट ने आदेश दिया था, तब जाकर यह मुकदमे लिखे गए थे। हालांकि, धूमनगंज पुलिस साक्ष्य नहीं ढूंढ़ सकी और दोनों ही मामलों में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई। इनमें से पहला मुकदमा दिसंबर 2015 को लिखाया गया था। मूलरूप से फतेहपुर और उस समय हरवारा में रहने वाले राजेश विश्वकर्मा ने सद्दाम समेत दो लोगों पर केस दर्ज कराया था।
उसका आरोप था कि उसने हरवारा में एक जमीन खरीदी। इसे सद्दाम ने विक्रेता संग मिलकर गुंडई व धोखाधड़ी करते हुए अपने नाम करा लिया। थाने में शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई तब उसने कोर्ट में गुहार लगाई। कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया। 18 महीने तक विवेचना चलने के बाद विवेचक राकेश कुमार ने इसमें अंतिम रिपोर्ट लगा दी
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