उत्तर प्रदेश

यूपी: इंसानों की तरह पशुओं के जन्म-मृत्यु का बनाया जाए रजिस्टर, केंद्रीय पशुपालन मंत्री ने दिया सुझाव

Tara Tandi
24 Sep 2023 8:17 AM GMT
यूपी: इंसानों की तरह पशुओं के जन्म-मृत्यु का बनाया जाए रजिस्टर, केंद्रीय पशुपालन मंत्री ने दिया सुझाव
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पशुओं की प्रभावी ट्रैकिंग, टीकाकरण, रोग से निदान, तस्करी और मृत्यु की वजह पता करना चुनौती है। लिहाजा, पशुओं का भी मनुष्यों की तरह जन्म-मृत्यु रजिस्टर होना चाहिए। यह सुझाव शनिवार को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर की ओर से आयोजित अखिल भारतीय राज्य पशुपालन निदेशक इंटरफेस मीट-2023 में केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने दिए।
इंटरफेस मीट में देश के 28 राज्य, छह केंद्र शासित प्रदेशों के पशुपालन विभाग के निदेशकों और आयुक्तों ने प्रतिभाग किया। इसके लिए केंद्रीय मंत्री ने आईवीआरआई इज्जतनगर के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त के प्रयास को सराहा। राज्यों के निदेशक और आयुक्तों से आईवीआरआई की ओर से किए जा रहे कार्यों की तर्ज पर राज्य के विभागों को, राज्य विश्वविद्यालयों के सहयोग से अनुसंधान गतिविधि शुरू करने को प्ररित किया। केंद्रीय मंत्री ने केंद्र सरकार की ओर से चल रही योजना की जानकारी दी। राज्य पशुपालन निदेशकों से भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों, पशुपालकों को को नई तकनीकों से लैस करने के लिए राज्यों में क्षमता निर्माण कार्यक्रम लागू करने का आग्रह किया।
एएमआर से निपटने के तैयार करें हर्बल विकल्प
पशुपालन आयुक्त डॉ अभिजीत मित्रा ने आईवीआरआई को एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस यानी एएमआर से निपटने के लिए एंटीबायोटिक के प्रयोग को कम करने के लिए हर्बल विकल्प खोजने का सुझाव दिया। कहा कि परजीवी नियंत्रण के अनुसंधान के साथ नई वैक्सीन भी तैयार करनी चाहिए। छुट्टा पशुओं की समस्या से निजात के लिए भी कार्ययोजना तैयार करने को कहा।
टीकों की गुणवत्ता परख रहा आईवीआरआई
संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) के तहत आईवीआरआई को आयातित, घरेलू उत्पादित टीकों की गुणवत्ता परीक्षण का कार्य केंद्र सरकार ने सौंपा है। अभी 23 वायरल, 11 बैक्टीरियल, टीकों का परीक्षण हो रहा है। इसके अलावा ब्रूसेल्ला और पीपीआर वैक्सीन के 200 बैच, एफएमडी के 400 बैच, सीएसएफ वैक्सीन के 50 बैच परीक्षण का लक्ष्य है।
क्षमता निर्माण के लिए मांगे जरूरी संसाधन
निदेशकों ने अपने-अपने राज्यों में पशुपालन, रोग निदान और पशु चिकित्सकों के क्षमता निर्माण से संबंधित समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने गर्भाशय निदान के लिए किट, खाद्य स्वच्छता प्रयोगशाला का विकास, स्वदेशी टीकों का विकास, आनुवंशिक उन्नयन, डीएनए लैब, अफ्रीकी स्वाइन फीवर डायग्नोसिस और वायबल वैक्सीन के विकास, ब्रूसेला के साथ एफएमडी, एचएस और बीक्यू के लिए संयुक्त वैक्सीन उत्पादन, फेरोमोन आधारित उत्पादों से संबंधित एथनो-वेटनरी चिकित्सा पद्धति, पशु बायोमेट्रिक्स, इलेक्ट्रॉनिक डोंगल आदि की मांग रखी।
इंटरफेस मीट में यह रहे मौजूद
संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) डॉ. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डॉ. एसके मेंदीरत्ता, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बबलू कुमार, संयुक्त निदेशक शोध डॉ. एसके सिंह,आईटीएमयू प्रभारी डॉ. अनुज चौहान, पशु पुनरूत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एमएच खान आदि वैज्ञानिकों ने भी आईवीआरआई के कार्यों की प्रस्तुति दी।
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