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यूपी पुलिस गुमशुदा ट्रांसजेंडर युवक को द्वारका से वापस यूपी ले गई, जानिए पूरा मामला
दिल्ली एनसीआर न्यूज़: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर इलाके से गुमशुदा एक ट्रांसजेंडर युवक की तलाश और उसकी बरामदगी में यूपी पुलिस को सहयोग देने का खामियाजा द्वारका की डाबरी थाना पुलिस को भुगतनी पड़ी। गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर थाने में दर्ज एक गुमशुदा ट्रांसजेंडर युवक की तलाश में वीरवार देर रात यूपी की पुलिस द्वारका पहुंची थी। डाबरी थाना पुलिस उत्तर प्रदेश पुलिस टीम के साथ सीतापुरी के गरिमागृह पहुंची थी, जहां वह गुमशुदा ट्रांसजेंडर युवक मिला। इसके बाद यूपी पुलिस की टीम उक्त युवक को अपने साथ लेकर वापस चली गई। पर इसके बाद उस युवक को छुड़ाने के लिए 6 से 7 की संख्या में ट्रांसजेंडर थाने पहुंच गए और वहां जमकर हंगाम किया। अंतत: पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उन्हें वापस लौटा दिया।
डीसीपी एम हर्षवर्धन ने बताया कि वीरवार रात करीब 12.20 बजे गौतमबुद्ध नगर की पुलिस टीम डाबरी थाने पहुंची थी। उन्होंने स्थानीय पुलिस से बादलपुर थाना इलाके से गुमशुदा ट्रांसजेंडर युवक को सुरक्षित बरामद करने में मदद मांगी थी। नियमानुसार डाबड़ी थाना पुलिस ने केवल उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ सहयोग किया। उत्तर प्रदेश पुलिस वहां से उस ट्रांसजेंडर को लेकर वापस चली गई। इसके बाद आश्रय गृह से कई ट्रांसजेंडर आए और उस ट्रांसजेंडर को ढूंढने लगे जिसे लेकर बादलपुर थाना पुलिस अपने साथ ले गई। पुलिसकर्मियों ने सभी को समझाया कि यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस
से जुड़ा है। लेकिन वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुए। थाना में सभी अभद्र व्यवहार करने लगे। कुछ ने कपड़े भी फाड़ डाले। पुलिसकर्मियों को कामकाज से रोकने लगे। इस दौरान सभी को काबू करने में न्यूनतम बल का इस्तेमाल करना पड़ा। डीसीपी ने किसी के भी साथ गलत व्यवहार करने का आरोप से साफ इनकार किया है।
पुलिसकर्मियों पर लगाए मारपीट करने का आरोप: इधर गरिमागृह के की संचालक का आरोप है कि देर रात आश्रय गृह में पुलिस की वर्दी में कई लोग आए। आश्रय गृह में तैनात गार्ड व वहां मौजूद लोगों ने रात के समय पुलिस के आश्रम में प्रवेश पर आपत्ति जताई लेकिन वे कुछ नहीं सुने। आश्रय गृह में एक ट्रांसजेंडर जो बुलंदशहर का रहने वाला था, वहां कुछ ही दिन पहले आया। उसे पुलिस अपने साथ जबरदस्ती उठाकर लग गई। पुलिस वालों से कहा गया कि रात के समय बिना कागजी कार्रवाई के किसी को आश्रय गृह से नहीं ले जाया सकता, पर पुलिस वालों ने कुछ नहीं सुना। इसके कुछ देर बाद जब आश्रय गृह से लोग थाना पहुंचे तो वहां पुलिस वालों ने उनके साथ मारपीट की। अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।