उत्तर प्रदेश

यूपी सरकार ने 3 महीने टाला बिजली कंपनियों का निजीकरण, जल्द मिलेगी बिजली

Deepa Sahu
6 Oct 2020 3:17 PM GMT
यूपी सरकार ने 3 महीने टाला बिजली कंपनियों का निजीकरण, जल्द मिलेगी बिजली
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बिजली कटौती से दो दिन बेहाल रहे उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए राहत भरी खबर है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | लखनऊ: बिजली कटौती से दो दिन बेहाल रहे उत्तर प्रदेश (UP Power Cut) के लोगों के लिए राहत भरी खबर है। सरकार से मिले आश्वासन के बाद बिजली कर्मचारियों ने काम पर लौटने (UPPCL Strike) का फैसला किया है। हालांकि जिन जिलों में बिजली पिछले 40 घंटे से ज्यादा समय से गुल है, वहां लोगों को राहत मिलने में कितना समय लगेगा इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।

सरकार के साथ करीब 4 घंटे चली वार्ता के बाद बिजली कंपनियों के निजीकरण के प्रस्ताव को फिलहाल 3 महीने तक टालने पर बात बन गई है। इस दौरान बिजली कंपनियों को सरकार की लाइन लॉस कम करने, राजस्व वसूली बढ़ाने जैसी शर्तों को भी पूरा करना होगा।

जनवरी 2021 तक हर महीने होगी कामकाज की समीक्षा

सरकार के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि बिजली वितरण के काम को भ्रष्टाचार मुक्त करने, बिलिंग और कलेक्शन एफिसिएन्सी बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने और कस्टमर सैटिस्फैक्शन के लक्ष्य की ओर काम किया जाएगा। निजीकरण के सभी प्रस्ताव फिलहाल 15 जनवरी 2021 तक वापस ले लिए गए हैं। इस दौरान बिजली कंपनियों के कामकाज की हर महीने समीक्षा की जाएगी।

'जो काम सालों में नहीं हुआ, वो तीन महीने में कैसे होगा'

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स असोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम ने एनबीटी ऑनलाइन से बताया, 'सरकार के साथ वार्ता में फिलहाल 3 महीने तक निजीकरण के प्रस्ताव को टाल दिया गया है। इस दौरान बिजली कंपनियों से उम्मीद की गई है कि वे लाइन लॉस कम करने और राजस्व वसूली के लक्ष्यों को हासिल करेंगी। हालांकि यह काम इतना आसान नहीं है। जो काम इतने सालों में नहीं हो पाया, उसे 3 महीने में बिजली कंपनियां कैसे पूरा करेंगी?'

'कर्मचारियों के काम पर लौटने से जनता को मिलेगी राहत'

उन्होंने कहा, 'हालांकि इस आश्वासन के साथ ही बिजली कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार को वापस ले लिया है और काम पर लौट गए हैं। इससे प्रदेश की जनता को काफी राहत मिलेगी। 2 दिन चले कार्य बहिष्कार से पूर्वांचल के कई जिलों को भारी बिजली किल्लत का सामना करना पड़ा है। मगर बिजली कंपनियों के कर्मचारियों के पास इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं था।'

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