उत्तर प्रदेश

UP सरकार मरीजों को कम समय में अस्पताल पहुंचाने के लिए बना रही है नई रणनीति

Ritisha Jaiswal
7 Aug 2022 1:51 PM GMT
UP  सरकार मरीजों को कम समय में अस्पताल पहुंचाने के लिए बना रही है नई रणनीति
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राज्य सरकार, प्रदेश के मरीजों को कम समय में अस्पताल पहुंचाने के लिए नई रणनीति बना रही है

उत्तर प्रदेश में ट्रैफिक एक बड़ी समस्या के रूप में है. राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के अलग अलग जगहों में ट्रैफिक के कारण लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसकी वजह से पूर्व में कई दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियां भी सामने आई हैं. ट्रैफिक क्लियर न होने के कारण एंबुलेंस भी जाम में फंस जाती है, जिससे मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कई बार ट्रैफिक क्लियर न होने के कारण मरीजों को अस्पताल पहुंचने में भी देरी हो जाती है और मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार इसका समुचित समाधान करने की तैयारी कर रही है

राज्य सरकार, प्रदेश के मरीजों को कम समय में अस्पताल पहुंचाने के लिए नई रणनीति बना रही है. इसके तहत चौराहे के आसपास एंबुलेंस के पहुंचते ही स्वत: ग्रीन कॉरिडोर बन जाएगा. यह संभव होगा एंबुलेंस में लगे जीपीएस और ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम के समन्वय से. इसका मसौदा तैयार कर लिया गया है और जल्द ही गोरखपुर, लखनऊ, कानपुर सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में इसे लागू करने की तैयारी की जा रही है.
प्रदेश में मरीजों को किसी भी तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े और वो सही समय पर अस्पताल पहुंच सकें इसके लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. मौजूदा समय में प्रदेश में 108 एंबुलेंस सेवा का रिस्पॉस टाइम 15 मिनट है, तो वहीं 102 एम्बुलेंस सेवा का रिस्पॉन्स टाइम शहरी इलाके में 20 मिनट और ग्रामीण इलाके में 30 मिनट है. लेकिन विभिन्न चौराहों पर लगने वाले जाम की वजह से एंबुलेंस के पहुंचने में दोगुने से अधिक समय लग जाता है. शहरी इलाकों में तो जाम
यही वजह है कि रिस्पॉस टाइम कम करने की रणनीति भी बनाई गई है. इसमें ग्रीन कॉरिडोर के समय को नजीर के तौर पर पेश किया गया. ग्रीन कॉरिडोर की मदद से घटनास्थल से अस्पताल पहुंचने का समय आधे से भी कम हो जाता है. ऐसे में ट्रैफिक सिग्नल को एंबुलेंस से जोड़कर संचालन करने की रणनीति भी बनाई गई है. पहले चरण में यह व्यवस्था गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, आगरा, प्रयागराज, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद, मथुरा, मेरठ, झांसी में लागू की जाएगी. इसके बाद अन्य शहरों को भी इसमें शामिल किया जाएगा.
गौरतलब है कि चौराहों पर एंबुलेंस के पहुंचने पर ट्रैफिक पुलिस रास्ता देने का प्रयास करती है. दूसरी तरफ के ट्रैफिक को रोक कर एंबुलेंस को पास किया जाता है. लेकिन भीड़ अधिक होने की वजह से कई बार चौराहों पर लम्बी लाइन लग जाती है. ऐसे में एंबुलेंस दूर से नहीं दिखाई देती और काफी दूर होने की वजह से वक्त अधिक लग जाता है. नई व्यवस्था पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत कार्य करेगी. इसमें एंबुलेंस में लगे जीपीएस को ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम पहले से ही खुद से जोड़़ लेगा.
यह सिस्टम स्वत: संज्ञान लेते हुए ग्रीन कॉरिडोर बना देगा. ऐसे में एंबुलेंस के चौराहे पर पहुंचते ही संबंधित दिशा का सिग्नल ग्रीन हो जाएगा. वह अगले चौराहे पर कितनी देर में पहुंचेगी, यह भी ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को दिखता रहेगा. उसी हिसाब से अगला सिग्नल भी ग्रीन हो जाएगा. यदि एक चौराहे पर दो दिशा से एंबुलेंस पहुंचती हैं तो जिधर की एंबुलेंस पहले आएगी, उसे ग्रीन सिग्नल मिलेगा और फिर दूसरे दिशा वाले को ग्रीन सिग्नल मिलेगा. इसके बाद फिर अन्य दिशा को ग्रीन किया जाएगा.
आपको बता दें कि राज्य सरकार की तरफ से निशुल्क एंबुलेंस सेवा दी जाती है. वर्तमान में प्रदेश में 108 एम्बुलेंस कुल 2200 और 102 एम्बुलेंस कुल 2270 हैं. दुर्घटना होने, तथा किसी भी तरह की आकस्मिक चिकित्सा के लिए 108 एंबुलेंस सेवा निशुल्क उपलब्ध है. जबकि गर्भवती महिलाओं एवं दो साल तक के बच्चे के लिए 102 एंबुलेंस ,अस्पताल पहुंचाने और घर तक छोड़ने के लिए मौजूद रहती है.


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