उत्तर प्रदेश

यूपी: संभावनाओं की खेती बनीं फल एवं सब्जियां

Rounak Dey
7 Jun 2023 2:17 PM GMT
यूपी: संभावनाओं की खेती बनीं फल एवं सब्जियां
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जीवीओ 20.6 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 38 हजार करोड़ हुआ

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फलों एवं सब्जियों की खेती संभावनाओं की खेती बन रही है। 2023 की कृषि वानिकी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार फलों एवं सब्जियों की खेती में एक दशक में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 7.2 फीसद से बढ़कर 9.2 हो गई। इसी क्रम में इनसे प्राप्त ग्रास वैल्यू आउटपुट (जीवीओ) 20.6 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 38 हजार करोड़ रुपये हो गया।

दरअसल, इसमें योगी सरकार द्वारा कृषि विविधीकरण एवं बाजार की मांग के अनुरूप खेती करने की अपील, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एवं मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में गुणवत्तापूर्ण पौधों का उत्पादन कर किसानों को न्यूनतम रेट में देना, संरक्षित तापमान एवं नमी नियंत्रित कर संरक्षित खेती को बढ़ावा एवं मंडियों के आधुनिकरण आदि का महत्वपूर्ण योगदान है।

उल्लेखनीय है कि फल एवं सब्जियों (शाकभाजी) की खेती और इनका प्रसंस्करण व्यापक संभावनाओं का क्षेत्र है। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही लगातार इनकी खेती को हर संभव प्रोत्साहन दे रही है। करीब साल भर पहले लगातार दूसरी बार योगी बनने के बाद ही अगले 5 साल के लिए इनकी खेती के क्षेत्रफल में विस्तार, उपज में वृद्धि और प्रसंस्करण के बाबत महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी विभाग के सामने रख दिया गया था। उसी के अनुरूप काम भी हो रहा है। लक्ष्य के मुताबिक 2027 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6 फीसद से बढ़ाकर 16 फीसद तथा खाद्य प्रसंस्करण 6 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद किया जाना है। इसके लिए लगने वाली प्रसंस्करण इकाइयों के लिए बड़े पैमाने पर कच्चे माल के रूप में फलों एवं सब्जियों की जरूरत होगी।

हॉर्टिकल्चर में तय लक्ष्य प्राप्त करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका गुणवत्तापूर्ण प्लांटिंग मैटिरियल (पौध एवं बीज) की है। इसके लिए सरकार तय समयावधि में हर जिले में एक्सीलेंस सेंटर, मिनी एक्सीलेंस सेंटर या हाईटेक नर्सरी की स्थापना करेगी। इस बाबत काम भी जारी है। मसलन चंदौली, कौशाम्बी, सहारनपुर, लखनऊ, कुशीनगर और हापुड़ में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस निर्माणाधीन है। इसी तरह बहराइच, अम्बेडकरनगर, मऊ, फतेहपुर, अलीगढ़, रामपुर, और हापुड़ में मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस क्रियाशील हैं। सोनभद्र, मुरादाबाद, आगरा, संतकबीरनगर, महोबा, झांसी, बाराबंकी, लखनऊ, चंदौली, गोंडा, बलरामपुर, बदायूं, फिरोजाबाद, शामली और मीरजापुर में भी मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस/हाईटेक नर्सरी निर्माणाधीन हैं। 2027 तक इस तरह की बुनियादी संरचना हर जिले में होगी।

सरकार से मिले प्रोत्साहन एवं इन्हीं संभावनाओं के चलते पिछले 6 वर्षों में किसानों को प्रोत्साहित कर फलों एवं सब्जियों की खेती के रकबे में 1.01 लाख हेक्टेयर से अधिक और उपज में 0.7 फीसद से अधिक की वृद्धि की गई। किसानों को गुणवत्ता पूर्ण पौध मिलें, इसके लिए फलों एवं सब्जियों के लिए क्रमशः बस्ती एवं कन्नौज में इंडो इजराइल सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना हुई।

बेमौसम सब्जियां उगाने के लिए संरक्षित खेती को भी बढ़ावा दे रही सरकार

नमी और तापमान नियंत्रित कर बेमौसम गुणवत्तापूर्ण पौध और सब्जियां उगाने के लिए इंडो इजराइल तकनीक पर ही संरक्षित खेती को बढ़ावा देने का काम भी लगातार जारी है। पिछले 5 वर्षों में फूल एवं सब्जी के उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर में पॉली हाउस/शेडनेट का विस्तार हुआ जिससे 5549 किसान लाभान्वित हुए। योगी-2.0 में भी यह सिलसिला जारी रहे, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

“उत्तर प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने का सबसे प्रभावी जरिया फलों, सब्जियों और मसालों की ही खेती है। 9 तरह का कृषि जलवायु क्षेत्र होने के नाते अलग-अलग क्षेत्रों में हर तरह के फल, सब्जियों और फूलों की खेती संभव है। इसमें लघु-सीमांत किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इनकी संख्या कुल किसानों की संख्या में करीब 90 फीसद है। अमूमन ये धान, गेहूं, गन्ने आदि की परंपरागत खेती ही करते हैं। अगर सरकार की मंशा के अनुसार इनकी आय बढ़ानी है तो इनको फलों, सब्ज़ियों एवं फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा।”


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