उत्तर प्रदेश

यूपी चुनाव: मंदिर आंदोलन के बाद से 'अयोध्या' बनी भाजपा का गढ़, जानें समीकरण

Renuka Sahu
13 Jan 2022 1:30 AM GMT
यूपी चुनाव: मंदिर आंदोलन के बाद से अयोध्या बनी भाजपा का गढ़, जानें समीकरण
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फाइल फोटो 

राम मंदिर आंदोलन के बाद से 'अयोध्या' भाजपा का सुरक्षित गढ़ बन गई है। अयोध्या विधानसभा के क्षेत्र के अन्तर्गत रामजन्मभूमि शामिल है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राम मंदिर आंदोलन के बाद से 'अयोध्या' भाजपा का सुरक्षित गढ़ बन गई है। अयोध्या विधानसभा के क्षेत्र के अन्तर्गत रामजन्मभूमि शामिल है। इसके कारण इस सीट पर रामलला का भी खासा प्रभाव है। यह तथ्य बीते चुनावों के नतीजों से ही स्पष्ट है। मंदिर आंदोलन नब्बे के दशक में प्रभावी हुआ और इसके बाद 1991 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव हुआ। इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी लल्लू सिंह विजयी हुए। इसके बाद उनके पांव अंगद की तरह जम गए।

वह लगातार पांच बार यहां से विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे। वर्ष 2012 में हुए चुनाव के दौरान भाजपा को पटखनी देने की योजना उच्च स्तर पर बनाई गई। इसी योजना के साथ यहां सेवानिवृत्त एडमिरल भागवत आए। उन्होंने अलग-अलग कई गोपनीय मीटिंग की। इसके बाद निर्दल प्रत्याशी के रुप में गुलशन बिंदु को मैदान में उतारा। भाजपा विधायक लल्लू सिंह ने विपक्ष की इस योजना की जानकारी पार्टी नेतृत्व तक पहुंचाई भी लेकिन तब मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।
सभी किन्नर प्रत्याशी को हल्का मानते रहे लेकिन परिणाम जब आया तो लोग भौचक थे। किन्नर प्रत्याशी को अयोध्या-फैजाबाद के जुड़वा शहर में करीब 20 हजार मत मिले। यही नहीं वह शहरी क्षेत्र के आधा दर्जन बूथों पर सबसे आगे भी दिखाई पड़ी।
शहरी मतदाताओं के इन्हीं मत विभाजन के कारण सपा प्रत्याशी तेजनारायण पाण्डेय पवन करीब पांच हजार मतों से चुनाव जीत गये लेकिन उनके जीत की खुशी 2017 के चुनाव में कायम नहीं रह पाई। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी वेद प्रकाश गुप्त करीब सवा लाख मत पाकर बड़े अंतराल से विजयी हुए।
इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पांच बार के विधायक लल्लू सिंह को प्रत्याशी बनाया और वह पांच लाख से अधिक मत पाकर विजयी हुए थे। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने विजयश्री हासिल की।
पुन: विधानसभा के चुनाव घोषित हो गए है और यहां पांचवें चरण में 27 फरवरी को मतदान होना है लेकिन समीकरण के नजरिए से देखें तो बहुत अंतर नहीं आया है। फिर युवा मतदाताओं की संख्या में खासा इजाफा हुआ। इस बढ़ोत्तरी का लाभ कौन उठाएगा, यह तो आने वाला समय ही बता सकेगा। फिलहाल मुख्यमंत्री योगी के प्रत्याशी बनने से फिजा में रंग जरूर भरने लगा है।
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