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टोटकेबाजी में पीछे नहीं है यूपी बोर्ड, पढ़ाई का मत पूछो हाल
इलाहाबाद न्यूज़: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से होड़ करते हुए यूपी बोर्ड ने अपनी हाईस्कूल-इंटरमीडिएट परीक्षाएं भी 16 फरवरी से घोषित कर दी हैं, लेकिन यूपी बोर्ड से जुड़े 28 हजार से अधिक स्कूलों में जितनी गंभीरता परीक्षा कराने को लेकर रहती है उतनी पढ़ाई-लिखाई को लेकर दिखाई नहीं देती. माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि एक अप्रैल 2022 को सत्र शुरू होने के सवा तीन महीने बाद छह जुलाई को एनसीईआरटी की कक्षा नौ से 12 तक की अधिकृत किताबों की सूची जारी की गई.
तीन महीने बाद भी लाखों छात्र-छात्राओं के पास किताबें नहीं थीं. यही नहीं 10वीं-12वीं की परीक्षा फरवरी में कराने की हड़बड़ी में प्री-बोर्ड प्रैक्टिकल भी नहीं कराए गए. बोर्ड की ओर से 10 मई 2022 को जारी शैक्षणिक कैलेंडर में पहली बार प्री-बोर्ड प्रैक्टिकल की व्यवस्था दी गई थी. स्कूलों के प्रधानाचार्यों को जनवरी के तीसरे सप्ताह में 10वीं-12वीं के प्री-बोर्ड प्रैक्टिकल कराने के निर्देश दिए गए, लेकिन उससे पहले ही बोर्ड ने 21 जनवरी से मुख्य प्रायोगिक परीक्षाओं की तारीख घोषित कर दी.
बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने का दावा करने वाला यूपी बोर्ड खुद टोटकेबाजी में पीछे नहीं है. बोर्ड की परीक्षाएं आमतौर पर शुरू होती हैं. इस साल 16 फरवरी (), 2022 में 24 मार्च (), 2020 में 18 फरवरी (), 2019 में सात फरवरी () को परीक्षा शुरू हुई थी.
आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर औपचारिकता:
अवकाश तालिका में 365 दिनों में 235 शिक्षण दिवस के लिए निर्धारित थे. 20 जनवरी तक शिक्षण कार्य पूर्ण करने को कहा गया था. लेकिन उससे पहले 16 जनवरी से प्री बोर्ड परीक्षा की तारीख घोषित कर दी गई. हाईस्कूल में आंतरिक मूल्यांकन के नाम पर अधिकतर निजी स्कूलों में औपचारिकता पूरी की गई और शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं को मनमाने तरीके से नंबर बांट दिए.
परीक्षा जल्दी होने से परीक्षार्थियों को परेशानी:
यूपी बोर्ड ने अपने शैक्षणिक कैलेंडर में मार्च में परीक्षा प्रस्तावित की थी, लेकिन दो सप्ताह पहले 16 फरवरी से ही परीक्षा घोषित कर टाइम टेबल जारी कर दिया. इससे बोर्ड परीक्षार्थियों को परेशानी होगी. वे अब तक मार्च के हिसाब से परीक्षा की अपनी तैयारी कर रहे थे.