उत्तर प्रदेश

UP Assembly Elections: प्रियंका गांधी का महिलाओं को खुला न्योता, कही यह बात

Kunti Dhruw
8 Jan 2022 3:53 PM GMT
UP Assembly Elections: प्रियंका गांधी का महिलाओं को खुला न्योता, कही यह बात
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कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है.

कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है, कि 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' अभियान यूपी चुनाव के बाद देश के दूसरे राज्यों में ले जाया जाएगा। बीते कुछ दिनों में भाजपा, सपा और आम आदमी पार्टी भी महिलाओं की बात कर रही है। वहीं उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाना है तो गैस सिलेंडर या कुछ पैसे देने से काम नहीं चलेगा। उन्हें बराबरी देनी होगी। शनिवार को प्रियंका गाधी ने वर्चुअल अभियान की शुरुआत करते हुए फेसबुक लाइव किया। जनता से लिए गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को समझना होगा कि हम एकजुट होकर भविष्य बदल सकते हैं। पिछले डेढ़ साल में जहां-जहां महिलाओं पर उत्पीड़न हुआ मैं वहां गयी। उन्नाव, रायबरेली समेत जहां-जहां मैं गई और पीड़ितों से मिली तो उनमें लड़ने का जज्बा देखा। उससे ही मेरे मन में ये भावना आई और इसी भावना से हमारा नारा प्रेरित है- लड़की हूं, लड़ सकती हूं।

महिलाओं को राजनीति में आने के लिए आंमत्रण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप महिला हैं, राजनीति में आना चाहती हैं तो आइये मुझसे मिलिए। हम बात करेंगे। यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस की जो लिस्ट आएगी उसमें आप ऐसी महिलाएं पाएंगे जिन्होंने बहुत संघर्ष किया। सपा की एक महिला की साड़ी पंचायत चुनाव में खींची गई। हम उन्हें लड़ाएंगे। उन्होंने आधे घंटे तक फ़ेसबुक लाइव के दौरान न्यूजीलैण्ड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डन को अपनी पसंदीदा महिला नेता बताते हुए कहा कि वह बहादुर है, सहज हैं। उनकी बेटी हुई तो वह उसे लेकर संसद तक गईं। मेरी दादी इंदिरा गांधी मेरी प्रेरणा हैं। एक बार उड़ीसा में मंच पर उन पर पत्थर फेंके गये। वे बोलती रहीं। उनकी नाक की हड्डी टूट गई, खून बहा लेकिन वह भाषण देती रहीं। उन्हें मालूम था कि उनके कुछ निर्णय की वजह से कुछ लोग उनके प्रति हिंसक हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने सही फैसले लिए। वे आयरन लेडी थी तो करुणा और प्रेम की भी प्रतीक थीं।
घर और बाहर में बनाया संतुलन
उन्होंने कहा कि 25 साल तक मैं गृहणी रही, इस साल फरवरी में 25वीं वर्षगांठ है। अब बच्चे बड़े हैं और बाहर पढ़ते हैं। पति भी बहुत सपोर्टिव हैं तो बहुत मुश्किल नहीं होती। लेकिन घर के काम चला करते हैं। लखनऊ में रह कर भी पूछती हूं कि अलमारी साफ हुई या नहीं। इस अभियान में लड़कों की सहभागिता पर उन्होंने कहा कि मेरे बेटे ने भी यह गुलाबी बैण्ड पहना था। लड़कों को लड़कियों को बराबर समझना चाहिए। दोनों की विशेषताएं अलग है, लेकिन असल चीज़ है बराबरी। यह अच्छा है कि पुरुष बदल रहे हैं। वे महिला को मजबूत होते देखना चाहते हैं।


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