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केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने खारिज किया भूमि उपयोग परिवर्तन का प्रस्ताव
भोपाल न्यूज़: बकस्वाहा में प्रस्तावित बंदर हीरा खदान के लिए बक्सवाहा जंगल में 382.131 हेक्टेयर वनभूमि को हीरा खनन हेतु परिवर्तित करने का प्रस्ताव केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने स्वीकार नहीं किया है. उप इंस्पेक्टर जनरल सुनित भारद्वाज ने भोपाल के वन मंत्रालय को को पत्र लिखकर सूचित किया है. इसके बाद हीरा खदान प्रोजेक्ट एक बार फिर अटक गया है.
वन विभाग ने भेजा था प्रस्ताव
मध्यप्रदेश वन विभाग ने एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज के हीरा प्रोजेक्ट के लिए वनभूमि में परिवर्तन का प्रस्ताव भेजा था, इस पर केन्द्रीय वन सलाहकार समिति ने निर्णय लिया कि प्रोजेक्ट से इस भू-क्षेत्र की प्रकृति तथा पन्ना क्षेत्र की टाइगर हलचल प्रभावित हो सकती है. इसलिए डायमंड प्रोजेक्ट के वर्तमान स्थान तथा राष्ट्रीय टाइगर संरक्षण की अनुशंसा को मद्देनजर यह प्रोजेक्ट स्वीकार्य नहीं है. पत्र में एनजीटी में दायर याचिका के बारे में बताया है कि उसे 24 जनवरी 2023 को प्री-मैच्युअर बताकर खारिज किया गया है. पत्र में हाईकोर्ट में लम्बित याचिका का भी उल्लेख है.
हाईकोर्ट ने दे रखा है स्टे
बक्सवाहा में 4 लाख पेड़ काटकर हीरा खदान का विरोध डॉ. पीजी नाजपांडे तथा रजत भार्गव ने एनजीटी में याचिका दायर कर किया था, उसे एनजीटी ने खारिज किया, उसके बाद पुनर्विचार याचिका भी खारिज की गई. बक्सवाहा जंगल में पाए गए 25 हजार वर्ष पुराने रॉक पेंटिंग को बचाने भी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर हाईकोर्ट ने खनन पर स्टे आदेश जारी किया है.