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उत्तर प्रदेश
बिजली मीटर का बॉक्स खोलकर मशीन बदलने पर नहीं लग पा रहा अंकुश
Tara Tandi
9 Oct 2023 9:52 AM GMT
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बिजली मीटर से छेड़छाड़ कर उनकी चाल धीमी करने वाला गैंग फिर सक्रिय हो गया है। इन दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें मीटर की मशीन ही बदली हुई थी। असली मशीन को निकालकर लगाई गई मशीन सुस्त चलती है। यही नहीं सुस्त मीटर जितनी यूनिट दर्शा रहे हैं, सांठगांठ कर उससे बहुत कम यूनिट के बिल बनवाए जा रहे हैं। यानी मीटर में रीडिंग स्टोर कराने का खेल भी धड़ल्ले से जारी है।
पिछले साल जुलाई में राजधानी में चिप बदलकर बिजली मीटरों की चाल धीमी करने वाला गैंग पकड़ा गया था। एसटीएफ ने इस गैंग से जुड़े पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। तब लगा था कि ऐसे गिरोहों पर अंकुश लगेगा। पर, लेसा के जिम्मेदारों ने इस गिरोह से पकड़े गए मीटरों की अब तक जांच ही नहीं कराई। नतीजा- न तो गिरोह पर असर पड़ा और न ही लेसा में बैठे उसके मददगारों पर। पिछले महीने अयोध्या में भी मीटर सुस्त करने का मामला पकड़ा गया था। दो दिन पहले सुल्तानपुर में भी ऐसा मामला सामने आया। ये मामले बताते हैं कि गिरोह ने प्रदेश के कई जिलों में अपनी पैठ जमा ली है।
ये दो उदाहरण बता देते हैं किस तरह चल रहा है खेल
बॉक्स वही, अंदर मशीन बदल दी गई: चिनहट के गणेशपुर निवासी दीपा मिश्रा के अकाउंट नंबर 3161780000 वाले बिजली कनेक्शन की दस्ते ने जांच की, तो मीटर की असल मशीन को गुपचुप बदले जाने का खुलासा हुआ। दस्ते ने जांचा तो पाया कि सुस्त मशीन में भी 13,648 यूनिट रीडिंग स्टोर की गई थी। उपभोक्ता को 1,41,939 रुपये का बिल जमा करने के लिए दिया गया है।
मीटर में 26,358 यूनिट रीडिंग स्टोर: चिनहट के तिवारीगंज निवासी धनीराम के अकाउंट नंबर 3558680000 वाले घरेलू बिजली कनेक्शन को टीम ने जांचा, तो मीटर में 26,358 यूनिट रीडिंग स्टोर पाई गई। टीम ने उपभोक्ता को 1,80,501 रुपये का बिल जमा करने का अल्टीमेटम दिया है। टीम के सदस्य बताते हैं कि इस मीटर में लगभग दो साल से रीडिंग को स्टोर किया गया था।
कैसे चलता है ये खेल, क्यों नहीं लग पा रहा अंकुश
गैंग काफी ट्रेंड है। वह तकनीकी रूप से भी सक्षम है। गिरोह से जुड़े लोग बेहद सफाई से मीटर के बॉक्स से मशीन निकालकर दूसरी मशीन फिट कर देते हैं। फौरी तौर पर इसका पता लगाना मुश्किल होता है। मीटर खुलने के बाद जब बॉडी और मशीन नंबर का मिलान नहीं होता तब मामला पकड़ में आता है।
- सूत्र बताते हैं कि लखनऊ में ही काफी संख्या में मीटरों की मशीन बदलकर सुस्त मशीन लगाई जा चुकी है। ऐसे मीटरों से पावर कॉर्पोरेशन को राजस्व की चपत लग रही है। वहीं विद्युत लोड बढ़ने से आम उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
सूत्र बताते हैं कि बिजली चोरी अभियान के दौरान ऐसे सुस्त मीटर पकड़े जाते हैं। पर, टीम के अभियंता एवं कर्मचारी मौके सांठगांठ से मामला रफादफा कर देते हैं। कई मामलों में तो अफसर भी कार्रवाई करने के बजाय उसे दबा रहे हैं।
बिजली बिल आधा कर रहा मीटर ठेकेदार
सूत्र बताते हैं कि पुराने शहर के एक मीटर ठेकेदार की अगुवाई में उपभोक्ताओं का बिजली बिल आधा करने का खेल चल रहा है। इस खेल में परीक्षण खंडों के कुछ कर्मचारी शामिल हैं। वहीं, अमीनाबाद, राधाग्राम, चौपटिया, नादान महल रोड, आजादनगर, हुसैनगंज, जवाहर भवन, क्लाइड रोड, कैंट , शिवपुरी चिनहट आदि के कुछ संविदा कर्मी भी इस खेल में शामिल हैं। इस ठेकेदार के गुर्गे परीक्षण खंडों से लाए गए कबाड़ मीटरों की मशीन की चिप बदलकर उसे पहले से तैयार रखते हैं। सुस्त मीटर चाहत रखने वालों की तलाश कर यह उस मशीन को उसके मीटर में फिट कर देते हैं।
एक माह में स्टोर रीडिंग के पकड़े गए कुछ मामले
उपभोक्ता -- यूनिट
मालती -- 33,853
राजकुमार सिंह -- 24,850
शिवलाल -- 24,046
मोहन सिंह -- 21984
भग्गू राम रावत -- 14,952
मो. फहीम -- 14,448
अविनाश चंद -- 14,020
मो. रेहान -- 9708
प्रगति कुमार -- 6084
राजेंद्र प्रसाद -- 4644
अर्चना उपाध्याय -- 10,167
जॉन कलीकट -- 6713
शंकर लाल -- 11,888
रामस्वरूप -- 18,115
जुबैर बेग -- 17102
संलिप्त कर्मियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती अनिल कुमार तिवारी का कहना है कि बिजली मीटरों से छेड़छाड़ करके मशीन बदलने एवं रीडिंग स्टोर करने वाले उपभोक्ताओं के बारे में जो सूचना मिली, उसी आधार पर कई खंडों में कार्रवाई कराई जा रही है। इस खेल में जिन कर्मियों की संलिप्तता का पता चल रहा है, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
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