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हरदोई: थाना क्षेत्र के मखाईपुरवा गाँव मे चूल्हे से भड़की आग की चिंगारी ने झोपड़ी को अपनी चपेट में ले लिया। जिससे उसके अंदर सो रहे मासूम भाई-बहन की ज़िंदा जल कर मौत हो गई।शुक्रवार की सुबह हुए इस दर्दनाक हादसे से इलाके में कोहराम मचा हुआ है।हरपालपुर थाना क्षेत्र के मखाईपुरवा निवासी तेजराम पत्नी और बच्चों के साथ एक झोपड़ी में रहता है। शुक्रवार की सुबह उसकी पत्नी ने अपने बच्चों को चाय बनाने के लिए चूल्हा जलाया था। चूल्हे पर चाय बनती छोड़कर खेत से वह पालक लेने चली गई। झोपड़ी में सो रही उसकी 4 वर्षीय पुत्री नन्ही और 3 वर्षीय बेटा ज्ञानेन्द्र 5 वर्षीय पुत्र आशीष मौजूद था। इसी बीच चूल्हे से भड़की आग की चिंगारी ने झोपड़ी को अपने आगोश में ले लिया। जिससे झोपड़ी धूं-धूं कर जलने लगी। उसके अंदर कौन है?इसका किसी को ध्यान नहीं रहा।
आग की ऊंची-ऊंची लपटें देख कर पालक लेने गई तेजराम की पत्नी माया देवी ने जब शोर मचाया तो गांव वाले दौड़ पड़े। लेकिन उससे पहले नन्ही व ज्ञानेन्द्र की ज़िंदा जल कर मौत हो चुकी थी। वहीआशीष को किसी प्रकार से गांव वालों ने बाहर निकाल लिया है। ग्रामीणों की कड़ी मशक्कत से आग पर काबू पाया जा सका। तेजराम के पांच बच्चे थे। वह मेहनत-मज़दूरी कर किसी तरह अपने बच्चों का पेट पाल रहा था। इस हादसे ने उसका बहुत कुछ छीन लिया। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। क्षेत्राधिकारी सत्येंद्र सिंह ने पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया है। नायब तहसीलदार महेंद्र सिंह के साथ राजस्व टीम मौके पर मौजूद रही।मखाईपुरवा में आग लगने के बाद लोग अपनी जान हथेली पर रख कर उसे काबू करने की जद्दोजहद करते रहे।कई बार दमकल को इस बारे में सूचना दी गई। काफी देर तक किए गए इंतज़ार के बाद भी वह नहीं पहुंची। इसे ले कर लोगों में काफी नाराज़गी देखी जा रही है।
आवास मिला होता तो बस सकती थी मासूमों की जान सांडी विकासखंड की ग्राम पंचायत दसौली का मजरा मखाईपुरवा का तेजाराम का परिवार 10 वर्षों से झोपड़ी में रह कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है।जहाँ प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री आवास योजना में आवास के तिए कई बार अधिकारियों से फरियाद की। परंतु से आवास नहीं मिल पाया।शुक्रवार को चूल्हे से निकली चिंगारी से झोपड़ी में आग लग गई। जिससे उसके दो मासूम बच्चों की जिंदा जलकर मौत हो गई। अगस उसे आवास योजना का लाभ मिल जाता तो शायद आज उसके दोनों मासूम बच्चे जिंदा होते। ग्राम प्रधान नंदिनी ने बताया कि उसका आवास योजना की सूची में नाम न होने के चलते उसे आवास नहीं मिल सका है।