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मुरादाबाद: (Moradabad) तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद की एल्युमनाई डॉ. सारा अंसारी ने कहा, टीएमयू की परंपरा के अनुसार पुरातन छात्र सदा ही वर्तमान छात्रों के साथ एक पारंपारिक बंधन में रहते हैं। समय-समय पर वे शिक्षा, ज्ञान और विकास के क्षेत्र में त्रिवेणी की मानिंद हैं। डॉ. अंसारी एल्युमनाई रिलेशंस सेल की एल्युमनाई मेंटरशिप प्रोग्रामः स्वास्थ्य सेवा में सहानुभूति पर चीफ गेस्ट बोल रही थीं।
डा. अंसारी ने एंपैथी इन हेल्थ केयर पर बोलते हुए कहा, सहानुभूति अन्य लोगों की भावनाओं को समझने और साझा करने की क्षमता है। पेशेंट से भावनात्मक रूप से जुड़कर ही पेशेंट की संतुष्टि संभव है। उन्होंने कहा, सहानुभूति एक स्वास्थ्य पेशेवर के लिए महत्वपूर्ण संचार कौशल का गठन करती है, जिसमें तीनों आयाम- भावनात्मक, संज्ञानात्मक और व्यावहारिकता शामिल हैं। डॉ. सारा ने बताया, रोगियों की बढ़ती संख्या और समय की कमी सहानुभूति के विकास में नकारात्मकता लाती है। सहानुभूति कौशल विकसित करना पेशेवरों की शिक्षा का भी विषय होना चाहिए। डॉ. अंसारी ने सहानुभूति को मापने के लिए जेफरसन स्केल ऑफ एंपैथी का भी उल्लेख किया। उन्होंने पेशेंट्स की विभिन्न दुश्वारियों पर डॉक्टर को किस तरह से समाधान करना चाहिए, इसके बारे में भी विस्तार से प्रकाश ड़ाला।
डा. सारा अंसारी ने यूनिवर्सिटी के जीवीसी मनीष जैन और कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह से मुलाकात की। डॉ. सारा ने कहा, वह मुंबई और दिल्ली के नामचीन अस्पतालों में कार्य करके अब एक एंटरप्रिन्योर बनकर अपनी जन्मस्थली भदोही में चिकित्सक के रूप में समाज सेवा करना चाहती हैं। इसके पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार, एआरसी प्रो. निखिल रस्तोगी और बीपीटी विभाग की प्रिसिंपल प्रो. शिवानी एम. कौल ने मुख्य अतिथि को बुके देकर एवं मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
Admin4
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