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- चारों तरफ ट्रेंच लगाई...
वाराणसी में जिला जज की अदालत के आदेश पर एएसआई की टीम ने सोमवार की सुबह से ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक तरीके से सर्वे शुरू कर दिया। इसमें देश के कई शहरों के एएसआई के विशेषज्ञ रविवार की रात वाराणसी पहुंच गए थे। सुबह सबसे पहले टीम के सदस्य ज्ञानवापी के चारों तरफ ट्रेंच लगाएंगे।
इसके बाद सर्वे में सामने आने वाले हर छोटी से छोटी वस्तु को बतौर प्रमाण जुटाएंगे। एएसआई की टीम पांच से छह दिन में पूरे परिसर का सर्वे पूरा कर सकती है। ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे से दुनिया के सामने सच सामने आएगा। बड़े विवाद के हल की उम्मीद भी बंधी है।
एएसआई की टीम सुबह सात बजे ज्ञानवापी परिसर पहुंच गई। परिसर का निरीक्षण के बाद तय किया जाएगा कि सर्वे कहां से और कैसे किया शुरू किया जाए। टीम आधुनिक मशीनों के साथ आई है।
ज्ञानवापी परिसर की दीवार, छत सहित अन्य हिस्सों की अलग-अलग तकनीक व वैज्ञानिक तरीकों से जांच की जाएगी। रडार सर्वे की तकनीक के जरिये जमीन के नीचे तीन से चार मीटर का सर्वे किया जा सकता है। एएसआई के सामने रडार सर्वे के अलावा ट्रेंच लगाने का भी विकल्प है।
मूर्तियां और अभिलेख भी बताएंगे इतिहास
ज्ञानवापी परिसर से 50 मीटर की दूरी में भी ट्रेंच लगाकर सर्वे किया जा सकता है। इससे पता चलेगा कि यह परिसर कितने पहले आबाद हुआ होगा? कौन सी चीज सबसे पहले बनी होगी? इस दौरान मिलने वाले पत्थर के टुकड़े, अन्न के दाने, मूर्तियां, अभिलेख व हर छोटी से छोटी वस्तु भी बेहद महत्वपूर्ण होगी। इससे इतिहास की जानकारी मिल जाएगी। एएसआई सापेक्ष और निरपेक्ष डेटिंग पद्धति के जरिये भी सर्वे कर सकता है।
अब माइक्रोडेटिंग भी संभव
बीएचयू के इतिहासकार प्रो. अशोक सिंह का कहना है कि अयोध्या में भी एएसआई सर्वे से सच सामने आ चुका है। उस दौरान भी यह देखने का प्रयास हुआ था कि जो स्ट्रक्चर दिख रहा है, उसके अतिरिक्त और क्या-क्या है। अब तो माइक्रोडेटिंग का जमाना है।
सर्वे में हो सकता है दो पद्धतियों का इस्तेमाल
पुरातात्विक सर्वे का मुख्य उद्देश्य है कि उक्त स्थल पर धार्मिक ढांचा किसी अन्य धार्मिक निर्माण पर तो नहीं बनाया गया है। पुरावशेष में क्या बदलाव किया गया है? यदि ऐसा है तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्पीय डिजाइन और बनावट विवादित स्थल पर वर्तमान में किस रूप में है? जांच में जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार), जिओ रेडियोलॉजी सिस्टम व दोनों का प्रयोग कर सर्वे किया जा सकता है।
ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार एक भू-भौतिकीय विधि है, जो उपसतह की छवि के लिए रडार का उपयोग करती है। यह कंक्रीट, तारकोल, धातु, पाइप, केबल या चिनाई जैसी भूमिगत उपयोगिताओं की जांच करने के लिए उपसतह का सर्वेक्षण करने का एक तरीका है। जीपीआर सर्वे की इस अत्याधुनिक तकनीक से बिना खोदाई कराए जमीन से 15 मीटर नीचे तक की सभी जानकारियां आसानी से मिल जाती हैं।
अयोध्या में एएसआई सर्वे की रिपोर्ट बनी थी आधार
अयोध्या विवाद के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। एएसआई सर्वे की रिपोर्ट को अहम मानते हुए फैसला सुनाया था। हालांकि, ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग जैसी आकृति और वजूखाने का सर्वे नहीं हो सकेगा। शिवलिंग का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।