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गाजियाबाद जिले के व्यापारी 48 साल बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर से वंचित
गाजियाबाद: जिले के व्यापारियों को 48 साल बाद भी ट्रांसपोर्टनगर नहीं मिल सका है. नवंबर 1976 को जिला घोषित होने के बाद लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, जिसमें आठ सांसद संसद पहुंचे. इसके बाद भी ट्रांसपोर्टर, व्यापारी और उद्यमियों की यह मांग अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी है. यह मुद्दा हर चुनाव में उठाया जाता है.
दिल्ली की सीमा से लगे गाजियाबाद को यूपी का द्वार कहा जाता है. यह औद्योगिक नगरी है. यहां छोटे-बड़े 35 हजार से अधिक उद्योग संचालित हैं. साथ ही, बुलंदशहर औद्योगिक क्षेत्र में पश्चिम उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी लोहा मंडी है. शहर के बीचे किराना, और अनाज मंडी सहित छोटे-बड़े बाजार हैं. वहीं, मोदीनगर, मुरादनगर, लोनी और डासना में भी बाजार है. इन सभी को मिलाकर जिले में सवा लाख से अधिक व्यापारी हैं. इतना बड़ी औद्योगिक और व्यावसायिक नगरी होने के कारण जिले में ट्रांसपोर्टरों की बड़ी संख्या है. इसके चलते ट्रांसपोर्टर, व्यापारी और उद्यमी कई दशक से ट्रांसपोर्टनगर की मांग कर रहे हैं.
मास्टर प्लान 21 में शामिल थी योजना : जीडीए ने - में ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की योजना बनाई थी. इसे मास्टर प्लान 21 में शामिल किया. दुहाई और बसंतकुंज सेतली गांव की 3 एकड़ जमीन को चुना गया. भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों से वार्ता हुई. अधिक कीमत की मांग करते हुए करीब 110 किसान हाईकोर्ट चले गए. मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद जीडीए ने दिसंबर 16 में ट्रांसपोर्टनगर योजना के प्रस्ताव को रद्द कर दिया. कोर्ट ने भी किसानों के पक्ष में फैसला दिया. अब इस बार फिर मास्टर प्लान 31 में ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की योजना बनाई गई है.
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पास बनाने का प्रस्ताव: जीडीए ने महायोजना 31 में एक बार फिर ट्रांसपोर्टनगर बसाने का प्रस्ताव रखा है. इसे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पास दुहाई, डासना और एनएच-9 से सटी जमीन पर बसाने की योजना है. इसे करीब 100 एकड़ जमीन पर यूपी राज्य परिवहन निगम आदि के सहयोग से बसाया जा सकता है. इसके पास वेयरहाउस, पार्क और इंटर स्टेट टर्मिनल बनाने की योजना है.
कारोबारियों को ये सुविधाएं मिलतीं: ट्रासंपोर्टनगर विकसित होने से मालवाहक वाहन सीधे यहीं आते हैं. यहां पर सामान उतारकर बाजारों में भेजा जाता है. शहर से जाने वाला सामान भी ट्रांसपोर्टनगर से ही लोड होता है. यहां ट्रांसपोर्ट एजेंसीज, सर्विस सेंटर, लोडिंग-अनलोडिंग प्लेटफार्म, धर्मकांटा, ऑटोमोबाइल शॉप, कार्यशाला, वाहनों की दुकानें होती है. ट्रांसपोर्ट कार्यालय, पेट्रोल पंप, बैंक, होटल, रेस्टोरेंट आदि की सुविधा होती है. यहां पुलिस चौकी, ढाबा, फॉयर स्टेशन के साथ कर्मियों केलिए आवासीय सुविधाएं भी होती हैं.
जिले में ट्रांसपोर्टनगर की लंबे अरसे से मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक ट्रांसपोर्टनगर की योजना परवान नहीं चढ़ सकी है. इससे सभी को दिक्कत होती है. -सुनील चौधरी, ट्रांसपोर्टर
जिले में कई औद्योगिक इकाईयां संचालित हैं. प्रतिदिन इनका कच्चा माल आता है और तैयार माल देश के प्रत्येक कोने में जाता है. ऐसे में ट्रांसपोर्टनगर होना चाहिए. -श्याम चौधरी, ट्रांसपोर्टर