उत्तर प्रदेश

रिटायरमेंट की विदाई पार्टी ली पर सीट न छोड़ी

Harrison
6 Oct 2023 1:40 PM GMT
रिटायरमेंट की विदाई पार्टी ली पर सीट न छोड़ी
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उत्तरप्रदेश | शास्त्रीपुरम से लगा हुआ उद्योग से संबंधित एक विभाग के दफ्तर का बड़ा दिलचस्प मामला है. अगस्त 2023 में बाबू साहब नौकरी करने के बाद रिटायर हो गए. अंतिम तिथि को रक्षा बंधन का अवकाश था, इसलिए एक दिन पहले ही शानदार पार्टी का आयोजन उनके साथियों ने किया. विदाई पर भाषण हुए. लंबी सेवा के दौरान उनके साथ बिताए गए क्षणों को साझा किया. विदाई के गिफ्ट दिए गए. अवकाश के अगले दिन जब उनके साथी ड्यूटी पर आए तो चौंक गए. बाबू साहब सीट पर विराजमान थे. फाइलों को निबटाने के कार्य में जुटे थे.
कार्यालय सहायक के पद पर कार्यरत महोदय से जुड़ा हर किस्सा निराला है. विभाग के अध्यक्ष का स्नेह उन्हें हमेशा मिलता रहता है. ऐसा नहीं होता तो उनको दूसरे जनपद से लाने के लिए पुराने साहब प्रयास नहीं करते. उनके प्रयास न सिर्फ कामयाब हुए, बल्कि बाबू मात्र चार साल के वनवास के बाद ही गृह जनपद में वापस आ गए. यही नहीं पुराने साहब ने तो उनको ऑफिस का पूरा जिम्मा ही दे दिया. उनके हवाले सभी फाइल कर दीं. उनका ओहदा कार्यालय के बड़े बाबू का कर दिया. अहम निर्णय में उनका दखल रहता है.बाबू साहब ड्यूटी के बड़े पक्के हैं. रविवार के दिन भी उनको ऑफिस में फाइलों से जूझते हुए देखा जा सकता है. औद्योगिक क्षेत्र में बने दफ्तर में कम ही लोगों का आगमन रहता है. कोई अन्य स्टाफ अवकाश पर जा सकता है, लेकिन बाबू छुट्टी से परहेज करते हैं. उनके साथियों ने यह भी पता लगाने का प्रयास किया कि मानदेय मिलता भी है कि नहीं. जिस प्रकार से उनकी मेहनत हो रही है, उससे प्रतीत होता है कि वेतन से भी अधिक मानदेय की मौज ले रहे हैं.
सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं
बाबू की लोकप्रियता सबसे अधिक है. यदि किसी उद्यमी को कार्य होता है तो वह इन्हीं को कॉल करता है. लक्ष्मी के इस लाल की हैसियत किसी उद्यमी से कमतर नहीं. बताया जाता है कि उनके पास तमाम जमीन हैं. अन्य प्रकार की संपन्नता भी उनके खाते में आती रहती है.
सीईओ को नजर न आए
कुछ अरसा पहले विभाग के सीईओ आए. उस समय रिटायर्ड बाबू दफ्तर में कहीं नहीं दिखे. उनके सहयोगी तलाश में थे, शायद कहीं दिख जाएं. लेकिन बाबू नजर नहीं आए. साहब ने ऑफिस में ही उद्यमियों की मीटिंग ली. कई अन्य विभागों के अधिकारी इस बैठक में रहे.
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