उत्तर प्रदेश

मासूम की जान बचाने के लिए चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन, माता-पिता ने लगाई PM-CM से मदद गुहार

Renuka Sahu
27 Aug 2022 4:23 AM GMT
To save the life of the innocent, an injection of 16 crores is needed, the parents appealed to the PM-CM for help
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फाइल फोटो 

आठ माह का मासूम अनमय दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से जूझ रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आठ माह का मासूम अनमय दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से जूझ रहा है। उसकी बीमारी को देख माता-पिता के आंसू थम नहीं रहे हैं। इलाज की बड़ी कीमत के आगे उनकी हिम्मत भी जवाब दे रही है। अबोध बच्चे को बीमारी से निजात के लिए जो इंजेक्शन लगना है, उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है। वो भी इंजेक्शन भारत में उपलब्ध भी नहीं है, इसे अमेरिका से लाना होगा। इतनी बड़ी कीमत के इंजेक्शन के लिए माता-पिता ने पीएम-सीएम से मदद की गुहार लगाई है। बच्चे की मदद के लिए कुछ संभ्रांत लोगों ने अभियान भी चला रखा है। समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों के सहयोग से अब तक लगभग 40 लाख रुपये जुटा लिए गए हैं।

कोतवाली नगर के सौरमऊ स्थित बैंक कॉलोनी में रहने वाले सुमित कुमार सिंह यूको बैंक में कर्मचारी हैं। पत्नी अंकिता सिंह गृहिणी हैं। सुमित के पांच साल की बेटी और आठ माह का एक बेटा अनमय सिंह है। तीन माह पहले अनमय की शारीरिक विकास में कुछ कमी हुई, परिवार ने उसे दिल्ली के सर गंगाराम और एम्स जैसे बड़े अस्पताल में दिखाया। वहां पता चला कि अनमय को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी यानी एसएमए टाइप वन नाम की गंभीर बीमारी है। जो करोड़ों बच्चों में एक को ही होती है। इस बीमारी के लक्षण मात्र छह माह में ही आने लगते हैं। दो साल के भीतर बच्चे की मौत तक हो सकती है। इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए जो इंजेक्शन लगता है उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है।
पीएम व सीएम से मां ने की मदद की गुहार
अनमय की मां अंकिता ने कहा कि मेरी प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी से अपील है कि हम सामाजिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि हम इस दवा का इंतजाम भी कर सकें। मेरी दोनों से विनती है कि मेरे बच्चे को ये इंजेक्शन लगवा दें। यह भारत में उपलब्ध नहीं, बल्कि अमेरिका से आएगा। हम इतने सक्षम भी नहीं है कि हम इसे मंगवा सकें। इसका दाम 16 करोड़ रुपए है। यह हमारी पहुंच से बहुत दूर है।
जेनेटिक डिसआर्डर से होती है बीमारी
जिले के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि देखने से लग रहा है कि यह जेनेटिक डिसआर्डर है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसे कि मृत मांसपेशियों को संभालने की शक्ति नहीं है जो विस्तारित मांसपेशियों को संभालती हैं वह ताकत नहीं हैं। शरीर में चार मांसपेशियां होती हैं दो दाईं तरफ, दो बाईं तरफ। इसको ईस्टर्न ओ पीडो मस्कराईब कहते हैं। कुछ बच्चों में जीन का कुछ दिक्कत होती है जिसकी वजह से सिर्फ कालर मसल्स ही डेवलप होता है। इसकी सर्जरी भी काफी मुश्किल होती है। दूसरा विकल्प इस बीमारी का जो इंजेक्शन लगता है, वह करीब 16 करोड़ रुपए का आता है। इंजेक्शन आम व्यक्ति की पहुंच से बाहर का है। सरकार या समाज से आकर कोई व्यक्ति सहायता कर सकता है।
डीएम ने सीएम से मदद की गुजारिश
जिलाधिकारी रवीश कुमार गुप्त ने सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय अनुभाग-4 को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से आर्थिक सहायता दिए जाने के लिए पत्र भेजा है। उन्होंने कहा है कि उपजिलाधिकारी सदर की प्राप्त आख्या के आधार पर अनमय सिंह पुत्र सुमित कुमार सिंह आयुष्मान योजना से आच्छादित नहीं हैं। इनकी मासिक आय 47 हजार रुपए है। आर्थिक सहायता दिए जाने के लिए 16 करोड़ रुपए की संस्तुति की गई है। अभी इस पर मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई कार्रवाई की सूचना नहीं मिली है।
यूपी का दूसरा बच्चा इस दुर्लभ रोग का शिकार
यूपी का यह दूसरा बच्चा है जिसे इस दुर्लभ रोग ने जकड़ लिया है। इससे पूर्व गोरखपुर का एक बच्चा इस रोग से ग्रसित हुआ था जिसे जयपुर के जेके लोन अस्पताल में भर्ती किया गया था। जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक और रेयर डिजीज के इंचार्ज डॉ अशोक गुप्ता ने बताया कि इस रोग के उपचार के लिए दी जाने वाली रिस्डिप्लाम (एवरेसडी) नामक दवा की कीमत 4 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है और इसे आजीवन देने की जरूरत होती है। रिस्डिप्लाम (एवरेसडी) 2 महीने की उम्र से बड़े बच्चो के लिए मुंह से रोजाना ली जाने वाली दवा है। यह दवा सभी प्रकार के स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी के बच्चों को दी जा सकती है। यह एक स्मॉल मोलेक्यूल ओरल ड्रग है, जिसे बच्चे को घर पर ही दिया जा सकता है। इस साल 7 अगस्त को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा रिस्डिप्लाम को मंजूरी दी गई है, जो चार वर्षों के भीतर उपलब्ध स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी के लिए तीसरी दवा है।
11000 में एक बच्‍चे को होती है यह बीमारी
जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक और रेयर डिजीज के इंचार्ज डॉ अशोक गुप्ता ने बताया कि इस बच्चे के पैरों में हरकत कम थी और ढीलापन था। इसके बाद, जब बच्चे ने खड़ा होना एवं चलना शुरु नहीं किया तो पेरेंट्स ने डॉक्टर को दिखाया। जेनेटिक टेस्टिंग कराने पर इस बीमारी का पता चला. स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी (एसएमए) एक आनुवांशिक बीमारी है, जो नर्वस सिस्टम और स्वैच्छिक मांसपेशी के काम को प्रभावित करती है। यह बीमारी लगभग हर 11,000 में से एक बच्चे को हो सकती है।
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