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वाहनों की जांच के लिए तीन स्वचालित परीक्षण केंद्र खुलेंगे
गाजियाबाद: वाहनों को जांचने के लिए जिले में तीन स्वचालित परीक्षण केंद्र (एटीएस) खुलेंगे. निजी संचालन के बावजूद इनका नियंत्रण परिवहन विभाग के पास होगा. किसी भी शिकायत पर सेंटर संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी. फिलहाल जिले में सेंटर खोलने के लिए कई लोग परिवहन कार्यालय में संपर्क कर चुके हैं.
गाजियाबाद में 11 लाख से ज्यादा वाहन पंजीकृत हैं. इनमें से निजी वाहनों की संख्या करीब आठ लाख के करीब है. व्यावसायिक वाहन तीन लाख से ज्यादा हैं. निजी वाहनों में पेट्रोल के वाहनों की फिटनेस 15 साल और डीजल के वाहनों की फिटनेस 10 साल के लिए होती हैं. जबकि नए व्यावसायिक वाहनों को प्रति तीन वर्ष और आठ साल के बाद प्रति दो वर्ष में फिटनेस कराना जरूरी है. ई-रिक्शा और ई-कार्ट के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट तीन साल की अवधि के लिए वैध होता है. जिले में बड़ी संख्या में बिना फिटनेस वाले वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं. इनमें बस, ट्रक, आटो रिक्शा, टैक्सी समेत सवारी ढ़ोहने में काम आने वाले और माल वाहक छोटे वाहन शामिल हैं.
फिटनेस सेंटर पर मनमानी का आरोप
कमर्शियल वाहनों को हर दो साल में फिटनेस जांच करानी होती है. संभागीय परिवहन दफ्तर में वाहनों की फिटनेस का काम पहले ही बंद हो चुका है. डासना में साईं धाम सुपर सर्विसेज सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड वाहनों की फिटनेस का काम कर रही है. लेकिन कई बार कंपनी के खिलाफ शासन में शिकायतें पहुंच चुकी हैं. ट्रांसपोर्टरों का आरोप है कि फिटनेस सेंटर पर विभाग का कोई नियंत्रण न होने की वजह से संचालक मनमानी कर शोषण कर रहा है.
एटीएस सेंटर को हरी झंडी
शासन ने फिटनेस सेंटर की शिकायतों को देखते हुए स्वचालित परीक्षण केंद्र (एटीएस) को मंजूरी दी है. हल्के वाहनों और मध्यम व भारी वाहनों के लिए दो लेन वाले एटीएस के लिए दो एकड़ जमीन का होना अनिवार्य है. तीन लेन के लिए 2.5 एकड़ जगह जरूरी है. खास बात यह है कि एटीएस से संबंधित किसी भी शिकायत के लिए नोडल संभागीय दफ्तर को बनाया गया है.