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उत्तर प्रदेश
वित्तीय स्वीकृत न मिलने से हजारों मजदूरों की रोजी रोटी पर संकट
Harrison
5 Oct 2023 6:34 PM GMT
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बरेली | जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। भुता ब्लॉक में मनरेगा कार्यों को निर्धारित समय के बाद भी वित्तीय स्वीकृत नहीं देने का मामला सामने आया है। इस कारण ब्लॉक के 80 फीसदी गांव में मनरेगा से जुड़े काम ठप होने पर हजारों मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है।
भुता ब्लाक में 92 पंचायतों में से केवल 21 में कार्य चल रहा है, जबकि 71 में काम ठप है। सूत्र बताते हैं कि मनरेगा के स्वीकृत कार्यों में तकनीकी स्वीकृति तो समय पर मिल जाती है, लेकिन वित्तीय स्वीकृति के नाम पर लूटमार मची हुई है। यह स्वीकृति मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी को करनी होती है। ब्लॉक के गांव मल्लहपुर, नगीरामपुर, कंजा चकरपुर, कुईया रामपुर, रम्पुरा परवीन, अठायन समेत कई ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां के ग्राम प्रधान काम कराना चाहते हैं।
उनकी कार्ययोजना पर अधिकांश कामों की तकनीकी स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन वित्तीय स्वीकृति के लिए आए दिन प्रधानों को डीसी मनरेगा के पास शिकायत लेकर आना पड़ता है। नाम उजागर नहीं करने पर विभाग के एक कर्मी ने बताया कि मनरेगा में दो तरीके के काम होते है। इनमें कच्चा और पक्का काम शामिल है। इसके हिसाब से सुविधा शुल्क तय होता है।
सांसद के यहां धरना दिया पर समाधान कुछ नहीं हुआ
प्रधान संघ के अध्यक्ष बुद्धपाल गंगवार, फैजनगर के प्रधान अमित, कंजा चकरपुर के प्रधान विजेंद्र सिंह समेत 50 प्रधानों ने पिछले सप्ताह आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप के आवास पर धरना देकर मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए अपने हिसाब से काम करने का आरोप लगाया था। इस पर सांसद ने सीडीओ जग प्रवेश से फोन पर वार्ता की और तत्काल प्रधानों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए इस तरह की शिकायत फिर से नहीं मिलने की बात कही थी, लेकिन हालात जस के तस हैं।
ब्लाक के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। मनरेगा से जुड़े कार्यों में तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद वित्तीय स्वीकृति समय पर क्यों नहीं मिली। यह जांच का विषय है। -बलवंत सिंह, डीसी एनआरएलएम
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