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उत्तर प्रदेश
वर्कर्स यूनियन संबद्ध ऐक्टू के आव्हान पर प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों आशा कर्मियों ने लिया भाग
Admin2
26 Sep 2023 11:16 AM GMT
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन संबद्ध ऐक्टू के आव्हान पर आज ई-को गार्डन मैदान लखनऊ में हुए विशाल धरना - प्रदर्शन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों आशा कर्मियों ने भाग लिया। 24. 09 2023 से ही पूरे प्रदेश से आशा वर्कर्स व संगिनी भारी संख्या में आनी शुरू हो गई थी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इको गार्डेन में आम सभा शुरू हुई सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा माले के राज्य सचिव कामरेड सुधाकर यादव ने कहा कि सरकार कहती कि प्रदेश में पूंजी का बड़ा प्रवाह है और बड़े पैमाने पर दुनिया भर से पूंजी उत्तर प्रदेश में आ रही है, जिससे फन्ड की कमी नहीं है पर हकीकत में सरकार दिवालियापन के कगार पर है। कर्मचारियों , स्कीम वर्कर्स से लेकर गन्ना किसानों तक का बकाया सरकार भुगतान नहीं कर रही है।
सभा में बोलते हुए उत्तर आशा वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी जी ने कहा कि योगी जी की सरकार प्रदेश में दूध दही की नदिया बहाने का दावा करती है ,पर हम आशा कर्मियों को मिलने वाले दो चार हजार के मेहनताने का भुगतान कई कई महीने तक नही होता , हमारे काम का निर्धारण करने वालो को श्रम के मानव स्वास्थ्य के साथ रिश्ते की सामान्य समझ नही है , तभी जानलेवा काम का बोझ लादे जा रहे हैं ,और प्रतिफल में भूख और अपमान के सिवा कुछ नहीं मिलता। उन्होंने आगे कहा कि 2013 में सम्पन्न हुए 45 वें ,2015 में हुए 46वे भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश के अनुसार आशा कर्मियों को स्वास्थ्य कर्मी का दर्जा देते हुए न्यूनतम वेतन के दायरे में लाकर न्यूनतम 21000 रू का मासिक भुगतान , मातृत्व अवकाश, सामाजिक सुरक्षा , ग्रेड्यूटी, पेंशन , पी एफ सहित ईएसआई की गारंटी करनी चाहिए। किंतु सरकार को मुफ्त के रातो दिन के बेगार करने वेल मजदूर मिल गए हैं, इसलिए इस पर नजर डालने की भी फुरसत नही है ।
राज्य सहसचिव सरला श्रीवास्तव ने कहा कि कितने काम है, जिसका पैसा एन एच एम और जिला से लेकर स्वास्थ्य केंद्र के बीच बंदर बांट हो जाता है ,यही नहीं जो कुछ दो चार माह में मिलता है, उसे देने के नाम पर 20से 30% तक की वसूली कर ली जाती है , स्वास्थ्य सचिव , मुख्यमंत्री ,स्वास्थ्य मंत्री सबके दरवाजे खटखटाने के बावजूद भ्रष्ट्राचार पर भी संज्ञान लेने वाला कोई नहीं है ! उन्होंने कहा कि देश भर की माताओं और शिशुओ को सुरक्षित जीवन देने वाली हम आशाओं को न कोई मातृत्व अवकास मिलता है न हमे कोई अन्य सुविधा ही प्राप्त है । उन्होंने कहा कि हमारा संगठन लम्बे समय से अपनी मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कर रहा है , सरकार हमारी आवाज को अनसुना कर रही है। इसलिए हम पूरे प्रदेश की आशा कर्मी राजधानी सरकार को आगाह करने आएं हैं कि हमारे श्रम और पारिश्रमिक की लूट अब नही चलेगी । वर्षो से उठ रही आवाज सुनो, नही तो अब की लौटकर जब आयेंगे तो दिल्ली के किसान आंदोलन का इतिहास दुहरा देंगे।
आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) के राज्य सचिव अनिल वर्मा में कहा कि मेहनतकशो के लिए बहुत कठिन समय है। सरकारें हमारे अधिकारों को छीनने में लगी हैं। हमें कोई कुछ देने वाला नही है , अपना हक लड़कर ही हासिल करना होगा। मजदूर नेता और भाकपा-माले के लखनऊ जिला प्रभारी का0रमेश सिंह सेंगर ने आशाओं के न्यायपूर्ण संघर्ष का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी पार्टी आशाओं समेत सभी स्कीम वर्कर्स को राज्य कर्मचारी घोषित करने और राज्य कर्मचारियों को मिलने वाली सभी सुविधाओं के लिए उनके साथ मिलकर आवाज बुलंद कर रही है। सभा को विनोद कुमारी, जय श्री गंवार, मंजू पटेल, मीनू प्रजापति,गीता मिश्रा,कमला गौतम, अनीता , अर्चना दीक्षित , विभा सिंह, रेणु , आशा कुशवाहा , रंजना भरतिया, रेखा मौर्या, मीरा प्रजापति,राज कुमारी, हुस्ना चौहान, उषा जी, सावित्री आदि ने भी संबोधित किया। सभा के बाद मुख्यमंत्री को संबोधित13 सूत्रीय मांग पत्र दिया गया।
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