उत्तर प्रदेश

कच्चे मकानों व झोपड़पट्टी वालों के लिये काल बनी यह बारिश

Shantanu Roy
18 Sep 2022 5:28 PM GMT
कच्चे मकानों व झोपड़पट्टी वालों के लिये काल बनी यह बारिश
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बड़ी खबर
मलिहाबाद। पिछले कुछ दिनों से मलिहाबाद क्षेत्र और उसके आसपास में बारिश नहीं होने से कई जगहों पर पानी के अभाव के कारण धान के खेत को काफी नुकसान हो रहा था। रहीमाबाद जुगराज गंज के निवासी विजय बहादुर जो कि किसान है वह बताते हैं कि उनके पास सिंचाई का उपयुक्त साधन ना होने के कारण वह राम भरोसे ही बैठे थे। जिनसे पानी लेते हैं वह बोरिंग काफी दूर है। जिसके चलते पानी खेत तक पहुंचाने में काफी परेशानी होती है अगर बारिश हो जाती है। तो सोने पर सुहागा हो जाता है। किसान पानी की समस्या को लेकर काफी परेशान थे। आखिरकार मौसम मेहरबान हुआ और बीते बुधवार और बृहस्पतिवार सुबह से ही पूरे मलिहाबाद और उसके आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में कभी रुक रुक के तो कभी झमाझम बारिश हुई। बारिश से ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह गड्ढे में बारिश का पानी भर गया। इस बारिश से धान के खेत में पानी जमा हो गया है। इससे किसानों के चेहरे खिल गए। बारिश कम होने से किसानों को धान के फसल बर्बाद होने का डर सताने लगा था। इससे जो धान के खेत पानी के अभाव में सुख रहे थे। उसमें जान आ गई।
किसानों ने बताया कि क्षेत्र में खेती पूरी तरह भगवान के भरोसे है। भगवान अगर समय समय पर वर्षा करवाते हैं तो फसल लहलहाती है। किसानों ने बताया कि कुछ लोगों के पास सिंचाई का साधन न होने से दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है जिसकी वजह से वह भगवान भरोसे रहते हैं। वहीं कुछ स्थानों पर जलभराव की जैसी समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में दिखाई दी तराना ग्राम सभा के मजरा जुगराज गंज में धनंजय का निर्माण न होने के कारण जलभराव हो जाता है जिसके वजह से निकलने वालों के लिए बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि प्रधान से कहने के बाद ग्रामीण ने प्रधान से इस खनन जे को इंटरलॉकिंग करने के लिए कहा था पर प्रधान ने 3 महीने का आश्वासन देते हुए कहा कि बनवा दिया जाएगा पर, हालांकि समय सीमा बीतने के बावजूद भी अभी तक इस पर कोई निर्माण नहीं हुआ जिसके चलते वहां पर जलभराव जैसी समस्या और नाली का निकास न होने के कारण वहां पर जलभराव अभाव रहता है। जिससे कई तरीके की बीमारियां और मच्छर पनपते हैं। ग्रामीण उसमें रहने को मजबूर है जिसके वहां से निकलने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं झोपड़पट्टी व कच्चे मकानों में रहने वालों के लिए बारिश मुसीबत बन गई
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