उत्तर प्रदेश

सीएम योगी को फंसाने के लिए इस शख्‍स ने रची थी गहरी साजिश, खुल गया फोरेंसिक जांच में खेल, जानें पूरा मामला

Renuka Sahu
27 Aug 2022 2:08 AM GMT
This person had hatched a deep conspiracy to implicate CM Yogi, the game in forensic investigation was revealed, know the whole matter
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फाइल फोटो 

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़े कथित रूप से नफरत फैलाने वाला भाषण देने के 2007 के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़े कथित रूप से नफरत फैलाने वाला भाषण देने के 2007 के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि मामले में मंजूरी देने से इनकार करने पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है। यह मामला, गोरखपुर में जनवरी 2007 में हुए सांप्रदायिक दंगे से जुड़ा हुआ था। इसमें दो लोगों की मौत हुई थी जबकि कई घायल हो गए थे।

जांच और अदालती प्रक्रिया के बाद जो सच सामने आया उसके मुताबिक मामले में योगी को फंसाने के लिए गोरखपुर के परवेज परवाज नामक शख्‍स ने गहरी साजिश रची थी। कोर्ट से 156 (3) के तहत प्रार्थनापत्र देकर मुकदमा दर्ज कराया। आरोप था कि योगी आदित्यनाथ के कथित भाषण से दंगा भड़का था। परवेज ने कट-पेस्ट कर फर्जी भाषण की एक सीडी तैयार कर सबूत के तौर पर पेश की थी। सीडी की फोरेंसिक जांच हुई तो छेड़छाड़ पकड़ी गई। जांच में पता चला कि सीडी सही नहीं है, उसके साथ छेड़छाड़ की गई है। जांच सीबीसीआईडी को मिली थी। सीबीसीआईडी ने राज्यपाल से मुकदमे की अनुमति मांगी थी लेकिन केस चलाने की अनुमति नहीं मिली।
परवेज परवाज ने भाषण की कथित सीडी को आधार बनाकर मुकदमा दर्ज कराया था। जांच में जब सीडी में छेड़छाड़ की पुष्टि हुई तो पूर्व एमएलसी स्व. डॉ. वाईडी सिंह ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर परवेज परवाज के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। कैंट पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर 13 दिसम्बर 2018 में मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट दाखिल कर दिया।
दरअसल, 2007 में गोरखपुर में हुए दंगे में तत्कालीन सांसद व गोरक्षपीठाधीश्वर (अब मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ, पूर्व मंत्री शिव प्रताप शुक्ल, पूर्व महापौर अंजू चौधरी व पूर्व विधायक (अब राज्यसभा सांसद) डा. राधा मोहन दास अग्रवाल के खिलाफ तुर्कमानपुर निवासी परवेज परवाज ने भड़काऊ भाषण देने की एक सीडी अदालत में पेश की थी। उनका तर्क था कि इसी भाषण के बाद दंगा भड़का था। कोर्ट के आदेश पर योगी व अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था। यह मुकदमा हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। इस मुकदमे की जांच सीबीसीआईडी ने की थी और जांच में यह कहा था कि फोरेंसिक लैब दिल्ली ने उस सीडी में छेडछाड़ पाई थी। कहा गया था कि छेडछाड़ कर सीडी में योगी को भाषण देता दिखाया गया है।
पूर्व एमएलसी व वरिष्ठ चिकित्सक स्व. डॉ. वाईडी सिंह इस मामले को लेकर अदालत चले गए थे। उन्होंने एसीजेएम की अदालत में अर्जी देकर परवेज परवाज के खिलाफ कूट रचना करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। डॉ. सिंह ने अदालत में दिए प्रार्थना पत्र में परवेज परवाज़ को ब्लैकमेल करने के लिए सीडी से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। तत्कालीन एसीजेएम प्रथम नुसरत खां ने कैंट पुलिस सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। कैंट पुलिस ने परवेज परवाज पर केस दर्ज किया और चार्जशीट दाखिल कर दी है।
मुकदमे का वादी परवेज गैंगरेप में काट रहा उम्रकैद
एक महिला से दुष्कर्म के मामले में दोष सिद्ध पाए जाने पर परवेज परवाज अपने साथी जुम्मन के साथ उम्रकैद की सजा काट रहा है। जिला एवं सत्र न्यायालय ने जुलाई 2020 में यह राजघाट के तुर्कमानपुर निवासी परवेज परवाज और महमूद उर्फ जुम्मन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर 25-25 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।
एक महिला ने राजघाट में दोनों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। महिला का कहना था कि उसके पति से उसका मनमुटाव चल रहा था इसलिए वह अपने पति को वश में करने के लिए मगहर मस्जिद झाड़फूंक कराने जाती थी वहां उसकी मुलाकात महमूद उर्फ जुम्मन से हुई। उसने समस्या पूछी और झाड़फूंक की। बकौल महिला उसे थोड़ा फायदा हुआ और वह जुम्मन पर विश्वास करने लगी। 3 जून 2018 को 10.30 बजे जुम्मन ने महिला को पांडेय हाता स्थित अपनी दुकान के पास बुलाया कि वहां मस्जिद में तुम्हारे लिए दुआ करूंगा। वहीं दोनों ने महिला से दुष्कर्म किया।
माननीय सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद। एक पूरी तरह से गलत मुकदमे में मुझे राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था। 2008 से अब तक अनावश्यक रूप से परेशान किया गया।
डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल, राज्य सभा सदस्य
दंगे का मामला प्रशासन की मदद से जानबूझ कर प्रायोजित किया गया ताकि हम सब की गलत छवि जनता के मन में बनाई जा सके। आज कोर्ट के इस निर्णय से जनता भी प्रसन्न है।
शिव प्रताप शुक्ला, पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री
जिस व्यक्ति पर खुद एनएसए लगा था व दुष्कर्म के मामले में जेल में है, स्वयं को सामाजिक कार्यकर्ता बता कोर्ट एवं समाज को गुमराह करने की कोशिश में जुटा था। सुप्रीम कोर्ट ने आज निर्णय देकर सत्य की जय की है।
हरि प्रकाश मिश्रा, एडवोकेट
राजनीतिक छवि को क्षति पहुंचाने के लिए तत्कालीन प्रशासन ने गलत मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले से हम सब को काफी परेशान होना पड़ा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साजिश की राजनीति करने वालों को जवाब मिल गया है।
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