- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- गैंगस्टर संजीव जीवा को...
Vijay Yadav: मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी और मुन्ना बजरंगी के साथ संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बुधवार 7 जून को लखनऊ कोर्ट रूम में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर विजय यादव वकील के भेष में कोर्ट पहुंचा था, जिसने पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच इस वारदात को अंजाम दिया था। हालांकि, भागते समय विजय यादव को वकीलों ने मौके से धर दबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया। आइए जानते है कौन है गैंगस्टर संजीव जीवा पर गोलियां चलाने वाला विजय यादव..? 25 वर्षीय विजय यादव उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के सुल्तानपुर गांव का रहने वाला है। सुल्तानपुर गांव आजमगढ़ जिले की सीमा से सटा हुआ है। विजय यादव के पिता श्यामा यादव किसान है। उन्होंने बताया कि उनके चार बेटों में विजय दूसरे नंबर का है। पिछले दो महीने वह लखनऊ में रहकर पेयजल पाइप लाइन डालने का काम कर रहा था। इससे पहले विजय मुंबई में था।
मुंबई में वह एक स्टील कंपनी में मजदूरी का काम करता था। विजय यादव के पिता श्याम यादव के मुताबिक, पिछले 15 दिनों से विजय का मोबाइल फोन बंद था और परिवार के किसी भी सदस्य से उसका कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था। विजय से संपर्क ना होने के कारण हम लोगो काफी परेशान थे। लेकिन, हम क्या पता था कि वह ऐसा कुछ करने वाला है। हालांकि, विजय यादव जरायम की दुनिया में कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी न तो उसके परिवारवालों को है ना ही गांव के लोगों को। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय यादव की शुरुआती पढ़ाई जौनपुर से हुई है।
विजय ने साल 2012 में 10वीं की परीक्षा पास की थी। उसके बाद जौनपुर से इंटर और यहीं के मो. हसन पीजी कॉलेज से बीकॉम किया है। पढाई के दौरान विजय का किसी किशोरी से संपर्क हो गया और दोनों भाग गए। इस मामले में किशोरी के परिजनों ने साल 2016 में विजय के खिलाफ देवगांव थाने में ही पॉक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था। करीब तीन माह के बाद मुंबई से पुलिस ने दोनों को बरामद किया।
इस मामले में विजय यादव कुछ दिनों तक हवालात में रहा था। विजय की मां निर्मला ने बताया कि इस मामले में अब सुलह हो चुकी है और वह करीब छह माह बाद घर आया था। विजय की क्राइम हिस्ट्री खंगाल रहे सीओ केराकत गौरव शर्मा नेबताया कि उसके खिलाफ कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। हालंकि, अभी तक विजय यादव के खिलाफ केवल दो मुकदमों का ही पता चला है। पहला, आजमगढ़ के देवगांव में पॉक्सो एक्ट और दूसरा, 2020 में महामारी एक्ट के तहत केराकत में दर्ज किया गया था।