उत्तर प्रदेश

गंगा-जमुनी तहजीब की जिम्मेदारी इन दोनों भाइयों ने अपने कंधों पर उठाई है, पढ़ें अमरनाथ की यात्रा

Bhumika Sahu
11 July 2022 6:16 AM GMT
गंगा-जमुनी तहजीब की जिम्मेदारी इन दोनों भाइयों ने अपने कंधों पर उठाई है, पढ़ें अमरनाथ की यात्रा
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अमरनाथ की यात्रा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले 2 मुस्लिम भाई इन दिनों अमरनाथ की यात्रा पर गए हुए हैं. दोनों वहां पर भक्तों की सेवा में जुटे हैं. बाबा बर्फानी के भक्तों की सेवा की इच्छा को रखते हुए लोडर चलाने वाले दोनों भाई इरशाद और शमशाद कानपुर की शिव सेवक समिति से जुड़कर भक्तों की सेवा कर रहे हैं. या ये कहें कि दोनों भाईयों ने अपने कंधों पर गंगा जमुनी तहजीब की जिम्मेदारी उठा रखी है. आइए बताते हैं उनका अमरनाथ का पूरा सफर कैसा है.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कानपुर के शिव सेवक समिति के सदस्य हर साल बाबा अमरनाथ के भक्तों की सेवा के लिए बालटाल जाते हैं. साथ में लंगर का सामान भी ले जाते हैं. वहां शिविर लगाते हैं. इस बार भक्तों को लाने ले जाने के लिए 5 ई रिक्शा भी अपने साथ ले गए हैं. समिति के महासचिव वर्मा के मुताबिक सामान भेजने की बारी आई तो लोडर चलाने वाले दोनों भाई इरशाद और शमशाद खुद उनके पास आया और अमरनाथ जाने की इच्छा जाहिर की.
लोडर से सामान लेकर अमरनाथ गए. बदले में उन लोगों ने उतना ही पैसा जितना उनका खर्चा आता है. बताया जा रहा है कि बाबा के दरबार में पहुंचने के बाद दोनों भाइयों का मन बदला और सेवा के लिए समिति के सदस्यों के साथ वहीं रहने की ठान ली है. अब उनका लोडर वहीं खड़ा है, जिसके बदले उन्हें कुछ नहीं मिलना है. जबकि वो दोनों भाई ई—रिक्शा चलाकर लोगों की सेवा कर रहे हैं. दोनों कानपुर शहर की जूही गढ़ा निवासी हैं और लोडर चलाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इरशाद ने बताया कि भक्तों को जब ई-रिक्शा छोड़ते हैं तो उनके आगे ज्ञान गिरी आश्रम से गुफा के रास्ते में बड़ी संख्या में लोग लड़खड़ाते हुए मिलते हैं. उन्हें सहारा देना पड़ता है. ऐसे करीब 180 बुजुर्गों, दिव्यांगों के न चल पाने वाले भक्तों को दोनों भाई रोज सहारा देते हैं. उनके पिता का निधन हो गया है जबकि मां मुन्नी जूही सब्जी मंडी के पास सब्जी की दुकान लगाती हैं. शमशाद का कहना है कि वह मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं मंदिर में माथा टेकते हैं.


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