उत्तर प्रदेश

ये हैं इनकी खासियत, शामिल होंगे देशी श्वान, आरवीसी ने एसपीजी को सौंपे

Admin4
22 Aug 2022 11:19 AM GMT
ये हैं इनकी खासियत, शामिल होंगे देशी श्वान, आरवीसी ने एसपीजी को सौंपे
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

रिमाउंट वेटरनरी कॉर्प्स (आरवीसी) मेरठ की टीम से प्रशिक्षण लेने वाले स्वदेशी नस्ल मुधोल हाउंड के दो श्वान पीएम के सुरक्षा दस्ते (एसपीजी) में शामिल किए जाएंगे। आरवीसी में बेहद कठिन प्रशिक्षण के बाद इन्हें एसपीजी को सौंपा गया है। अब एसपीजी की ओर से चार माह का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे पहले भारतीय थल सेना, वायुसेना सहित अन्य सैन्य बलों मेंइनकी सेवा ली जा चुकी है।

भारतीय सैन्य टीम के मुताबिक पहली बार स्वदेशी नस्ल के श्वानों को प्रशिक्षण देकर इस सुरक्षा टुकड़ी में शामिल किया जा रहा है। इससे पहले आरवीसी ने लैब्राडोर और जर्मन शैफर्ड को लंबे समय तक प्रशिक्षित किया है। आरवीसी के मुताबिक वर्ष 2016 में इन श्वानों को भारतीय सेना के दस्ते में प्रशिक्षण के लिए शामिल किया गया। यहां तीन सप्ताह का बेसिक और 36 महीनों का कठिन स्तर का प्रशिक्षण दिया गया। यहां सभी मानकों पर परखने के बाद इस नस्ल के श्वानों को पीएम की सुरक्षा दस्ते में शामिल करने योग्य माना गया है। प्रशिक्षण पाने वाले श्वानों को कर्नाटक के कैनाइन रिसर्च एंड इनफार्मेशन सेंटर सहित अन्य जगहों पर भेजा गया। इन्हीं में से दो स्वान कर्नाटक के रिसर्च सेंटर के माध्यम से एसपीजी को सौंपे गए।

बताया गया है कि मुधोल हाउंड नस्ल के स्वान की पहचान दक्षिण भारत से जुड़ी है। यह नाम यहां की मुधोल रियासत के नाम पर रखा गया है। कर्नाटक के बागलकोट नाम की जगह पर मुधोल रियासत के शासकों ने ऐसे श्वानों को पाला था। इनसे शिकार करने और सुरक्षा के कार्यों में मदद ली जाती थी। कई बड़ी खूबियाें के कारण भी इनकी सबसे अधिक मांग थी।

मुधोल हाउंड नस्ल के छह श्वान श्रीनगर में इंडियन आर्मी के लिए दिए गए हैं जबकि एयरफोर्स और आईटीबीपी की सेवाओं के लिए भी इन्हें प्रशिक्षण दिया गया है।

आटा या चावल, मांस और अंडा, हरी सब्जियां, दूध, डॉग बिस्किट। यह सब निर्धारित मात्रा या श्वान की रुचि के अनुसार दिया जाता है।

इस नस्ल का श्वान 270 डिग्री तक देख सकता है। यह इशारा मिलते ही लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है। लंबे पैरों के साथ बेहतरीन शारीरिक बनावट होती है। अपनी सेवा के प्रति पूरी तरह समर्पित और बहादुर। हर मौसम के अनुरूप खुद को ढालने में माहिर भी है।

प्रशिक्षण देने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक मैनुअल और स्पेशल गैजेट के माध्यम से कई तरह की वाइब्रेशन का प्रशिक्षण इन श्वानों को मिलता है। 300 मीटर दूर होने पर भी रिसीवर के माध्यम से यह श्वान एक्शन में आ जाता है। विस्फोटक की तलाश और इमरजेंसी ऑपरेशन के अलावा रनवे की सुरक्षा में भी यह बेहद उपयोगी हैं। और तीन तलाक का आरोप लगाया है। अभी जांच की जा रही है।

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