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- 1978 में आगरा में बाढ़...
आगरा में 45 साल पहले वर्ष 1978 की बाढ़ लोगों को अब भी याद है, लेकिन देश की राजनीति में भूचाल मचा देने वाले कुख्यात अपराधियों रंगा और बिल्ला को बाढ़ के दौरान ही आगरा के लोगों ने स्टीमर पर तब देखा था, जब दिल्ली पुलिस उन्हें 13 सितंबर 1978 को भैंरो बाजार, यमुना किनारा समेत कई जगह लेकर आई थी। बाढ़ के कारण बेलनगंज, यमुना किनारा पर 10 फुट तक पानी भरा था। स्टीमर के जरिए ही दिल्ली पुलिस रंगा-बिल्ला से जगह और चर्चित चोपड़ा हत्याकांड में उपयोग किए गए हथियार को बरामद कराने के लिए आई थी।
आगरा में ही कालका मेल में हुए थे गिरफ्तार
26 अगस्त 1978 को दिल्ली में सेना के अधिकारी के बच्चों गीता और संजय चोपड़ा की हत्या के बाद कुख्यात अपराधी जसवीर सिंह उर्फ बिल्ला और कुलजीत सिंह उर्फ रंगा खुश फरार होकर आगरा आ गए। तब यमुना नदी की बाढ़ के कारण यमुना पार सीता नगर में रहे। 7-8 सितंबर की रात यमुना ब्रिज स्टेशन पर कालका मेल में वह ट्रेन पकड़ते समय फौजियों के डिब्बे में चढ़ गए। सैनिकों से हाथापाई के दौरान उनकी पहचान हो गई। ट्रेन के गार्ड आलोक गुप्ता ने अमर उजाला में उनकी फोटो देखकर रंगा बिल्ला को पहचाना था। दोनों को दिल्ली पहुंचकर पुलिस को सौंप दिया गया।
आगरा में काटे गए थे बिल्ला के टांके
दिल्ली पुलिस यमुना नदी में आई बाढ़ के दौरान रंगा बिल्ला के घाव के टांके काटने वाले डाक्टर की तलाश में भी थी। बिल्ला ने अपने 138 पेज के बयान में बताया था कि आगरा जाकर उसके घाव पर टांके आगरा के निजी डाक्टर ने लगाए और उसी ने काटे। 30 जनवरी 1982 के दिन रंगा बिल्ला को तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फांसी लगाई गई थी।