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उत्तर प्रदेश
कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के एलान पर पश्चिमी यूपी में किसान नेताओं में खुशी की लहर, जयंत चौधरी बोले- ये जीत...
Gulabi
19 Nov 2021 7:04 AM GMT
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कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के एलान कर दिया। इसके बाद से आंदोलनरत किसानों के साथ साथ आंदोलन का समर्थन कर रही जनता में खुशी की लहर है। पंजाब से शुरू हुए आंदोलन को वेस्ट यूपी के किसानों ने मुकाम तक पहुंचाया। पंजाब के किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन शुरू किया था, हरियाणा व वेस्ट यूपी का साथ मिला था। 26 जनवरी को आंदोलन खत्म होने की कगार पर पहुंचा तो, वेस्ट यूपी के किसानों ने दोबारा खड़ा करके कानून वापसी की मंजिल तक पहुंचाया। राकेश टिकैत के आसुओं ने इस आंदोलन को मजबूत किया। वहीं, पंजाब व हरियाणा के किसान नेता खुद भी वेस्ट यूपी के किसान नेताओं व किसानों को आंदोलन की अहम कड़ी मान रहे हैं। आगे पढ़ें, आखिर कृषि कानूनों की वापसी को लेकर किसने क्या प्रतिक्रिया दी।
आंदोलन तत्काल वापस नहीं लिया जाएगा: चौधरी राकेश टिकैत
कृषि कानूनों की वापसी को लेकर हालांकि भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन तत्काल वापस नहीं लिया जाएगा। हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानून को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार एमएसपी के साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें। यह बातें टिकैत ने ट्वीट करते हुए साझा कीं। प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानून के वापस ले लिए जाने के ऐलान के बाद टिकैत ने यह प्रतिक्रिया दी है।
यह किसान की जीत है : चौधरी जयंत
कृषि कानून वापसी को लेकर जयंत चौधरी ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह किसान की जीत है, हम सब की जीत है। देश की जीत है।
देश के अन्नदाता की जीत हुई : कांग्रेस जिलाध्यक्ष, मेरठ
मेरठ से कांग्रेस जिलाध्यक्ष अवनीश काजला ने कहा कि प्रियंका गांधी और समस्त कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किसानों के बीच रहकर संघर्ष किया। पिछले एक वर्ष में कांग्रेस हर मुद्दे पर आगे रही। देश के अन्नदाता की जीत हुई है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभिमन्यु त्यागी ने कहा कि चुनाव सिर पर हैं, तीन काले कृषि कानून वापस हुए हैं। यह जीत देश के 135 करोड़ नागरिकों की और किसान, मजदूर की जीत है।
किसानों की मेहनत का ही फल: राजेंद्र सिंह
बागपत से भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह का कहना है कि यह किसानों की मेहनत का ही फल है। जिसके चलते सरकार को कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी और सरकार को अकल आ ही गई। चाहे एक साल बाद आई हो। इसके लिए किसानों को बधाई।
बागपत से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व थांबेदार चौधरी बृजपाल सिंह का कहना है कि सरकार को यह निर्णय काफी समय पहले लेना चाहिए था। इसके लिए किसान आंदोलन में सहयोग करने वाले सभी किसान बधाई के पात्र हैं। एमएसपी पर भी सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
किसानों ने बहुत कुछ खोया है: सवित मलिक
शामली से किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सवित मलिक का कहना है कि इस आंदोलन में किसानों ने बहुत कुछ खोया है। प्रधानमंत्री की पहल का हम स्वागत करते हैं, लेकिन संसद में कानून वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा। प्रधानमंत्री ने पहले भी संसद में कहा था कि एमएसपी थी, है और रहेगी। लेकिन किसानों को एमएसपी नहीं मिल रही है।
मेरठ में भाजपा नेताओं का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी किसान हित में उठाया गया सरकार का बड़ा कदम है। हस्तिनापुर में कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा से क्षेत्र के किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने खुशी मना कर एक दूसरे को बधाई दी। वहीं भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसानों ने कहा कि आज का दिन उनके लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि उनके लंबे संघर्ष के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला लिया है। इस संबंध में क्षेत्र में कई स्थानों पर आज मिठाई बांटी गई और शाम को दीप जलाए जाएंगे।
बिजनौर से भाकियू के मंडल अध्यक्ष दिगंबर सिंह के अनुसार कृषि कानूनों की वजह से आंदोलन के दौरान 800 किसानों की मौत हो गई। किसानों की मौत की जिम्मेदार केंद्र सरकार है। सरकार को आंदोलन में शहीद हुए किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के वेस्ट यूपी महासचिव कैलाश लाम्बा के अनुसार ये केंद्र सरकार की हठधर्मिता पर किसानों की जीत है। किसानों के आंदोलन में आम जनता भी जुड़ी हुई थी। जनता के मूड और हाल ही में उपचुनाव में भाजपा की हार की वजह से सरकार को सबक मिला है।
किसानों के हित मे और भी काम होने चाहिएं
भाकियू लोकशक्ति जिलाध्यक्ष वीर सिंह के अनुसार सरकार ने अभी कानून वापस नहीं लिए हैं। इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदने की भी सरकार ने कोई घोषणा नहीं की है। इसकी घोषणा भी सरकार को जल्दी ही करनी चाहिए। किसानों के हित मे और भी काम होने चाहिएं।
भाकियू अम्बावता शिव कुमार के अनुसार किसानों की सरकार से इन कानूनों पर ही लड़ाई थी। किसानों से बात करके अगर कानून बनाए जाते तो उनसे किसानों को फायदा हो सकता था। सरकार को किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाने का कानून बनाना चाहिए।
भाजपा जिलाध्यक्ष सुभाष वाल्मीकि के अनुसार सरकार ने किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए कानून वापस लिए हैं। भाजपा सरकार ही किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कर रही है। सरकार ने किसानों का हमेशा मान रखा है।
रालोद के पूर्व विधायक सुखवीर सिंह के अनुसार यह आम किसान और किसान संगठनों की जीत है। रालोद ने भी किसानों के हित की ये लड़ाई पूरे जोरशोर के साथ लड़ी है। किसानों और आम जनता के हित में होने वाले हर आंदोलन में रालोद उनके साथ है।
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