उत्तर प्रदेश

इंसानों में सेरोगेसी से बच्चे होने की बात, लेकिन अब सेरोगेसी की मदद से गाय भी मां बन सकेंगी

Teja
9 July 2022 12:30 PM GMT
इंसानों में सेरोगेसी से बच्चे होने की बात, लेकिन अब सेरोगेसी की मदद से गाय भी मां बन सकेंगी
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सेरोगेसी से गाय भी मां बन सकेंगी

इंसानों में सेरोगेसी से बच्चे होने की बात आपने सुनी होगी, लेकिन अब सेरोगेसी की मदद से गाय भी मां बन सकेंगी। इस नामुमकिन को मेरठ के केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान ने मुमकिन कर दिखाया है। रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट ने गायों में सेरोगेट मदर कांसेप्ट सफलता पूर्वक कंप्लीट किया है। साइंटिस्ट ने अपने रिसर्च में फ्रिस्वाल नस्ल वाली शंकर गाय की कोख से साहिवाल नस्ल की बछिया पैदा कराई है। संस्थान का यह प्रयोग पूरी तरह सफल हुआ है। अब संस्थान सेरोगेसी विधि की मदद से बांझ और कम दूध देने वाली गायों को भी उपयोगी बनाएगा।

अब जानें रिसर्च सेंटर में गाय कैसे बनी सेरोगेट मदर
इस प्रयोग को करने वाले डॉ. सुरेश कहते हैं हमने संस्थान की एक फ्रिस्वाल, शंकर नस्ल की गाय जिसका नाम हमने राधा रखा है उसे लिया। यह गाय पूरी तरह अनुपयोगी थी। जिसकी प्रजनन और दुग्ध उत्पादन क्षमता खत्म हो चुकी थी। शंकर गाय में साहिवाल नस्ल की गाय के भ्रूण को प्रत्यारोपित किया। इसके लिए लैब में साहिवाल नस्ल की गाय से सुपर ओवुलेशन यानि बहुडिम्ब आक्श्रण कराया।
इस सुपर ओवुलेशन के जरिए लैब में साहिवाल के एक साथ कई भ्रूण तैयार किए। इन भ्रूणों को साइंटिस्ट ने टेस्ट कर बेस्ट भ्रूण का सिलेक्शन किया। बेस्ट भ्रूण को 8-9 दिनों के बाद शंकर गाय की कोख में प्रत्यारोपित कर दिया। भ्रूण प्रत्यारोपित होते ही गाय का प्रेगनेंसी पीरियड शुरू हो गया। प्रेगनेंसी का पूरा समय लेकर गाय ने एक स्वस्थ साहिवाल बछिया को जन्म दिया है। पूरे प्रेगनेंसी में गाय को लुकऑफ्टर किया गाय बिल्कुल स्वस्थ रही। अब बच्चा देने के बाद गाय की दुग्ध क्षमता भी बढ़ गई है।
शंकर नस्ल की गाय से निपटने में मिलेगी मदद
आवारा, निराश्रित पशु खासतौर से शंकर नस्ल की गाय आज बढ़ी परेशानी हैं। इनको मैनेज करना चुनौती बन चुका है। इन अनुपयोगी, अनुत्पादक शंकर नस्ल की गायों का प्रयोग सेरोगेसी में करके उन्हें उत्पादक बनाया जा सकता है। इससे देसी गोवंश की नस्ल सुधार कार्यक्रम भी बखूबी चल सकेगा। देश में दूध उत्पादन भी बढ़ेगा।
देसी अच्छी नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाना
अब संस्थान का लक्ष्य भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक की मदद से ज्यादा से ज्यादा उच्च गणवत्ता वाली स्वदेशी बछिया, बछडे़ का जन्म कराना है। ताकि देश में अच्छी नस्ल की गुणवत्ता वाली गायों की संख्या बढ़े। साथ ही दुग्ध उत्पादन भी बढ़े।





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