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इलाहाबाद: प्रयागराज में एम्स की स्थापना के लिए दो वर्ष तक कोई योजना नहीं है. यह जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर दी है. हलफनामे में कहा गया है कि वर्ष 2025-26 में प्रयागराज में एम्स बनाने की केंद्र सरकार की कोई योजना नहीं है. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 10 जनवरी की तारीख लगाई है.
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने सहज सारथी फाउंडेशन व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने पूरक हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार वाराणसी में नया एम्स बनाने जा रही है. केंद्र सरकार ने वाराणसी में एम्स की तर्ज पर बजट देने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के बीच गत 21 को एमओयू पर हस्ताक्षर किया है. प्रयागराज में भी इसी आधार पर एम्स बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बीएचयू में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत एम्स की सुविधाएं व बजट दिया जा रहा है. इस पर जानकारी प्राप्त करने के लिए एडिशनल सॉलीसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट से समय मांगा कि बीएचयू जैसा एम्स प्रयागराज में भी बनाया जा सकता है या नहीं. कोर्ट ने प्रयागराज में बीएचयू जैसा एम्स स्थापित करने के बारे में केंद्र सरकार से जानकारी प्राप्त करने का समय दिया है.
याची का कहना है कि प्रयागराज को सभी दिशाओं से जोड़ने वाले राजमार्ग हैं. यहां हाईकोर्ट व केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित केंद्र सरकार के कई कार्यालय हैं. विश्व प्रसिद्ध संगम पर हर वर्ष करोड़ों की भीड़ आती है और यहां उच्च स्तरीय मेडिकल सुविधाएं नदारद हैं. ऐसे में प्रयागराज में एम्स की स्थापना की जानी चाहिए.