उत्तर प्रदेश

Faizabad जिले में नहीं हैं हृदय रोग विशेषज्ञ, ओपीडी 1000 के पार

Admindelhi1
19 Sep 2024 4:53 AM GMT
Faizabad जिले में नहीं हैं हृदय रोग विशेषज्ञ, ओपीडी 1000 के पार
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जिला अस्पताल में मंडल से आते हैं मरीज

फैजाबाद: मौसमी बीमारियों के साथ सांस रोगी बढ़े हैं. ऐसे मरीजों को दिल से भी संबंधित शिकायतें आ रही हैं. यदि हृदय संबंधी बीमारी है तो आपको अपना ख्याल खुद ही रखना होगा, चूंकि जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में कोई कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है. ऐसे में यहां के भरोसे रहे तो महंगा पड़ सकता है.

मौसम बदलाव से सांस और रक्तचाप (बीपी) के मरीजों के साथ दिल के रोगियों को भी खासी परेशानी उठानी पड़ती हैं. मौसम के उतार-चढ़ाव से रक्त वाहिनियों में अवरोध के कारण दिल की बीमारियों वाले मरीजों के लिए इस मौसम में खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. जिला अस्पताल में दो दशक से हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हो सकी है. जिसके बाद लोगों को दिल से संबंधित बीमारी का इलाज नहीं होता. जनरल फिजीशियन को ही दिखाकर काम चलाना पड़ता है. इधर बारिश के बाद ओपीडी की संख्या भी हजार से पार पहुंच चुकी है. इसमें सांस रोगी भी शामिल हैं. सांस रोगियों के कारण आईसीयू फुल हो गया है. एसआईसी डॉ. वीके सोनकर ने बताया कि इस बारे में कई बार पत्राचार किया तो कई बार मीटिंग के दौरान अधिकारियों से भी कहा, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं मिला.

अस्पताल में हृदय रोगों की जांच के लिए ईसीजी की सुविधा उपलब्ध है. तीन फिजीशन के पद में सिर्फ दो तैनात हैं. वहीं न्यूरोलाजिस्ट भी नहीं हैं. किडनी रोग विशेषज्ञ भी नहीं हैं. ऐसे में मरीजों का उपचार जैसे-तैसे हो रहा है.

कैसे पहचानें हृदय रोग

● दौड़ते समय या तेज चलने पर सीने में दर्द ● सीने में जलन या भारीपन

● बाईं तरफ आलपिन जैसा चुभना जो बाएं हाथ तक जाता हो ● लगातार अपच या एसीडिटी की समस्या, जिसे लोग अक्सर बदहजमी समझ लेते हैं.

हृदय रोगियों के लिए लखनऊ ही एक मात्र है विकल्प

हृदय में कोई समस्या हुई तो लोगों को लखनऊ का रास्ता तय करना पड़ता है. आजकल के खानपान व जीवनशैली को देखते हुए युवा भी दिल से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में यदि ईसीजी में बीमारी निकलकर नहीं आती है तो लक्षणों के आधार पर डॉक्टर मरीज को ईको और फिर टीएमटी की सलाह देते हैं लेकिन दोनों ही सुविधाएं यहां नहीं हैं. लेकिन आपात स्थिति को देखते हुए लोग लखनऊ, गोरखपुर या फिर बड़े शहरों की ओर रुख करते हैं.

कोलेस्ट्रॉल रखें नियंत्रित

एमडी फिजीशियन डॉ. अंकित चतुर्वेदी के अनुसार शरीर में कोलेस्ट्रॉल की अधिकता ही हृदय रोगों का कारण बनती है. ये एचडीएल व एलडीएल दो प्रकार का होता है, जिनमें एलडीएल को सामान्यत बुरा कोलेस्ट्राल भी कहा जाता है. पुरुषों में एचडीएल की मात्रा 50 और महिलाओं में 40 से ऊपर होनी चाहिए जबकि एलडीएल सामान्य व्यक्ति में 130 से नीचे तथा दिल के रोगियों में 100 से नीचे होना चाहिए.

मेडिकल कॉलेज में भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं

महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज में भी कोई हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है. बता दें कि एक साल पहले एक हृदयरोग विशेषज्ञ आए थे, वह भी कुछ दिन तक सेवा देकर चले गए. तब से कोई डॉक्टर नहीं है. हृदय रोग विभाग में कोई एमडी नहीं है. कॉर्डियोलॉजिस्ट न होने के कारण छात्र-छात्राओं को इससे संबंधित पढ़ाई नहीं हो पा रही.

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