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उत्तर प्रदेश
जमीन के मुआवजे को लेकर फंसा पेच, प्रशासन बता रहा राजा दियरा की जमीन
Admin4
14 Nov 2022 11:56 AM GMT
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अयोध्या। सआदतगंज से नयाघाट अयोध्या तक प्रस्तावित फोर लेन राम पथ चौड़ीकरण के पहले जमीन के मुआवजे को लेकर पेच फंस गया है। चौड़ीकरण से रिकाबगंज-निवावां मार्ग पर करीब 250 लोग प्रभावित हो रहे हैं। प्रभावित होने वाले लोगों ने सोमवार को रिकाबगंज-नियावां मार्ग पर प्रदर्शन कर जिला प्रशासन पर ज्यादती का आरोप लगाया।
इनका कहना था कि वह चौड़ीकरण के खिलाफ नहीं है लेकिन शासन-प्रशासन उनके भवनों के साथ जमीन का भी मुआवजा दे। वहीं जिला प्रशासन जमीनों को राजा दियरा की मानते हुए जमीनों का मुआवजा नहीं दे रहा है। प्रशासन तहसील में जमीनों के दाखिल खारिज का अभिलेख मांग रहा है, जो प्रभावित लोगों के पास फिलहाल उपलब्ध ही नहीं है।
सआदतगंज से नयाघाट तक करीब 13 किलोमीटर लम्बे रामपथ के चौड़ीकरण से पहले प्रभावित लोगों को मुआवजा दिये जाने का मामला उलझ गया है। चौड़ीकरण की जद में आ रहे लोग जमीनों पर मालिकाना हक साबित नहीं कर पा रहे हैं। विशेषकर रिकाबगंज से निवायां रोड पर स्थित लगभग 250 लोग प्रभावित हो रहे हैं। प्रशासन इस क्षेत्र के लोगों को भवनों का मुआवजा तो दे रहा है लेकिन प्रभावित लोगों द्वारा जमीन के दाखिल खारिज के अभिलेख न दिखा पाने के कारण जमीन का मुआवजा नहीं दे रहा है।
इसे लेकर लोगों में आक्रोश है। चौड़ीकरण से प्रभावित लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनके साथ ज्यादती कर रहा है। उन्हें उनके मकानों का मुआवजा बहुत कम दे रहा है। साथ जमीन का भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। नियावां रोड निवासी निर्मल ने बताया कि प्रशासन कह रहा है कि यह जमीन राजा दियरा की है। लेकिन मकान का जो मुआवजा भी उन्हें सिर्फ 1 लाख 73 हजार ही मिल रहा है, जबकि मिलना चाहिये करीब 5 लाख। जमीन की कीमत नहीं दी जा रही है।
हम लोग करीब 50 साल से अधिक समय के पहले से जमीन बैनामा कराकर रह रहे हैं। चौहद्दी व गाटा संख्या नहीं है इसलिए प्रशासन जमीन का मुआवजा नहीं दे रहे हैं। प्रशासन कह रहा है कि जमीन तहसील में दर्ज नहीं है। तहसील की नकल मांग रहे हैं जो किसी के पास नहीं है। उनके पास बैनामा है लेकिन तहसील में दाखिल खारिज नहीं है।
नियावां निवासी मोहम्मद यासीन का कहना है कि उनका करीब सवा तीन मीटर मकान और 4 फीट का चबूतरा चौड़ीकरण में जा रहा है। हमारी मांग है कि जमीन का उचित मुआवजा दिया जाये। हमारे पास 1919 का बैनामा है। लेकिन हमसे खतौनी मांगी जा रही है।
दाखिल खारिज तो किसी के पास नहीं है। हम लोगों की पुश्तैनी जमीन नगर निगम में दर्ज है। उसकी रसीदें हैं। यह प्रशासन की ज्यादती है। अगर यह जमीन राजा दियरा की हैं तो 103 साल से आज तक कोई जमीन पर अपना हक जमाने क्यों नहीं आया। इसलिए सरकार हमारे भवन के साथ जमीन का भी मुआवजा दे।
Admin4
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