उत्तर प्रदेश

गंगनहर पटरी पर कैमिकल में जले युवकों को नहीं मिली कोई आर्थिक मदद

Admin4
2 Nov 2022 12:40 PM GMT
गंगनहर पटरी पर कैमिकल में जले युवकों को नहीं मिली कोई आर्थिक मदद
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मोरना। भोपा थाना क्षेत्र में गंग नहर पटरी पर बकरियों के लिए चारा लेने गए एक युवक के परिवार पर 9 जुलाई का दिन मुसीबत बन कर आया था। थाना क्षेत्र के गांव नगला बुजुर्ग निवासी मोहम्मद नबी बकरीद के त्यौहार के लिए बकरे खरीद कर लाया था। बकरीद से एक दिन पहले वह अपने साथी शादाब के साथ बकरों के लिए चारा लेने के लिए गंग नहर पटरी पर स्थित जंगल में गया था। दोनों दोस्त चारा काटने के बाद वापिस गांव की ओर लौट रहे थे। मोहम्मद नबी खेत में से निकल कर काली राख के बड़े ढेर पर चढ़कर बाहर निकलने का प्रयास करने लगा, जैसे ही काली राख के ढेर पर चढ़ा, वैसे ही केमिकल युक्त राख की चपेट में आ गया, जिससे वह बुरी तरह झुलस गया था, जिसके बाद उसके परिजन आनन-फानन में मो नबी को लेकर ककरौली थाना क्षेत्र के गांव गंगदासपुर में पहुंचे, परंतु वहां चिकित्सक ने बुरी तरह झुलसे युवक को मुजफ्फरनगर ले जाने की सलाह दी थी, जिस पर परिजन झुलसे युवक को लेकर मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल में पहुंचे, परंतु युवक की हालत गंभीर देखते हुए उसे मेरठ रेफर कर दिया गया था, जंहा लगभग 3 सप्ताह बाद उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी थी।
इस प्रकरण के मात्र सोलह दिन बाद उसी स्थान पर लकड़ी लेने के लिए गए सिखेड़ा थानाक्षेत्र के गांव भिक्की निवासी सैफ अली व उसका चाचा मोमिन भी इस कैमिकल युक्त राख की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद हरकत में आई भोपा पुलिस ने मुकदमे के आधार पर काली राख के ठेकेदार इरफान उर्फ भूरा को जेल भेज दिया था। कैमिकलयुक्त राख की चपेट में आये मोहम्मद नबी की दर्दनाक मौत के बाद पूरा परिवार शोकग्रस्त था । मृतक के भाई नौशाद, शमशाद, इरशाद, सावेज व शहजाद मजदूरी आदि कर अपने परिवार का पेट पाल रहे है। मृतक की मां इमराना को कम दिखाई देता है, वही बहन महराना शादी की दहलीज पर खड़ी है।
मृतक के भाई शमशाद ने बताया कि उसके भाई की मौत के बाद वादे तो बहुत हुए पर आज तक उन्हें किसी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है। दूसरी ओर कैमिकल युक्त राख में बुरी तरह झुलसने से घायल हुए सैफ़ अली व उसके चाचा मोमीन का उपचार चल रहा है। मोमीन के पिता मुन्ना ने बताया कि दोनों के इलाज में अब तक लाखों रुपये खर्च हो चुके है। अब उनके पास दोनों के इलाज के लिए पैसा खत्म हो चुका है। प्रत्येक सप्ताह दो बार दोनों घायलों को पट्टी कराने के लिए गंगदासपुर ले जाना पड़ता है, जिसमे लगभग तीन हजार रुपये खर्च हो जाते है। उम्र के इस पड़ाव में भीख मांगकर किसी तरह पैसों को इंतजाम कर वह बुरी तरह झुलसे पुत्र और पौत्र के इलाज के लिए पैसे जुटा पाते है। अगर किसी प्रकार की आर्थिक सहायता मिल जाती, तो वह दोनों का बेहतर इलाज करा पाते।
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