उत्तर प्रदेश

बसपा के लिए साल 2022 नहीं रहा अच्छा, विधानसभा में मिली थी करारी शिकस्त

Shantanu Roy
31 Dec 2022 10:24 AM GMT
बसपा के लिए साल 2022 नहीं रहा अच्छा, विधानसभा में मिली थी करारी शिकस्त
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बड़ी खबर
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए साल 2022 अच्छा नहीं रहा है। इसी वर्ष हुए उप्र विधानसभा चुनाव में जीत का दावा कर रही बसपा को करारी हार मिली थी। इस वजह से पार्टी की प्रमुख मायावती उपचुनावों से दूरी बनाकर आगामी नगर निकाय व लोकसभा चुनाव-2014 के लिए तैयारियां में जुट गई थी। पार्टी के जनाधार को बचाने और सीटें बढ़ाने के लिए एक बार फिर दलित, ओबीसी, मुस्लिम समीकरण को साधने की कोशिश की है। 2022 में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन विधानसभा चुनाव में 273 सीट जीतकर एक बार फिर से सत्ता पर काबिज हुई थी। वहीं, सपा गठबंधन को 125 सीटें प्राप्त हुई हैं। बहुजन समाज पार्टी को एक सीट मिली है। बसपा ने एकमात्र बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट जीतने में सफलता पाई थी। यहां से बसपा के टिकट पर उमाशंकर सिंह ने तीसरी बार जीत हासिल की थी।
जबकि कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी ने भी दो सीटों पर कब्जा जमाया है। वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव उन्होंने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था लेकिन परिणाम के धरातल पर उसे निराशा ही हाथ लगी थी। इसे देखते हुए बसपा प्रमुख मायावती को नये साल से ज्यादा उम्मीदे हैं। अभी तक बसपा निकाय चुनाव नहीं लड़ती रही है लेकिन जिस तरह मायावती के राजनीतिक बयान आ रहे हैं और निकाय चुनाव पर उन्होंने जाे बैठक की है, इससे राजनीतिक पंडितों को बसपा के निकाय चुनाव में उतरने का आभास होने लगा है। पार्टी मुख्यालय में शुक्रवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बैठक की। इसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य के पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे। इस बैठक में मायावती ने कार्यकर्ताओं को आगामी नगर निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव-2024 में पार्टी को जीत के लिए जोश और उमंग के साथ खड़े रहने का आह्वान किया है।
विश्वनाथ पाल बने नए प्रदेश अध्यक्ष, चुनौतियों की डगर
बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी को एक बार फिर सत्ता में लाने के लिए शतरंज की विसात बिछानी शुरू कर दी है। उन्होंने अपनी पहली चाल चलते हुए अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले विश्वनाथ पाल को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि बहन मायावती ने जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी हैं वो पूरी ईमानदारी से निभाएंगे। कहा कि बसपा राजनतिक दल नहीं बल्कि एक कैडर आधारित पार्टी है, जो बाबा साहेब की विचारधारा और कांशीराम के बताए हुए रास्तों पर चल रही है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से ऐसी स्थिति हुई है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पार्टी खत्म हो गई है। चुनौतियों की इस डगर में दलित, पिछड़े और गरीबों का भरोसा हमें ताकत दे रहा है कि और हम मजबूती के साथ वापसी करेंगे।
उपचुनाव से दूरी, निकाय चुनाव को लेकर बनायी रणनीति
उप्र विधानसभा चुनाव 2022 में मिली करारी हार के बाद पार्टी ने उपचुनाव से दूरियां बना ली थी। लेकिन अब लोकसभा चुनाव 2024 में एक बड़ी जीत को हासिल करने के लिए आगामी नगर निकाय चुनाव विजय पाने के लिए पार्टी पदाधिकारियों ने रणनीति बनायी है, उसका आने वाले समय में दूरगामी राजनीतिक परिणाम देखने को मिल सकता है। वर्ष 2007 में बहुजन से सर्वजन तक का सफर तय करने वाली मायावती ने बसपा को प्रदेश की सत्ता में पूर्ण बहुमत दिलाने के लिए सभी वर्गों को एक साथ लाने के लिए अभियान चला सकती हैं। इस अभियान के तहत भाजपा सरकार की नीति-नीयत के बारे में लोगों को जागरूक करेगी।
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