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फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने में पूर्व रणजी खिलाड़ी गिरफ्तार
आगरा न्यूज़: भौतिक सुख सुविधाओं के लिए प्रकृति का दोहन हो रहा है. इससे ईको सिस्टम और खाद्य श्रंखला प्रभावित है. परिणाम स्वरूप जीव-जंतुओं की कई प्रजातियों पर संकट खड़ा हो गया है. लगातार नष्ट हो रहे हेविटाट से वन्यजीवों की कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं. हालांकि, आगरा कई संकटग्रस्त वन्यजीवों की प्रजनन स्थली के रूप में उभर कर सामने आया है. यहां की सेंचुरियों में लुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षियों का ठहराव है. उनके प्रजनन से यहां की वादियां चहकती हैं. चंबल में घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन व कछुओं का संरक्षण हो रहा है.
हेविटाट नष्ट होने से प्रजनन स्थलों में कमी पक्षी वैज्ञानिक डॉ. केपी सिंह बताते हैं कि वन्यजीवों के संकटग्रस्त होने के पीछे हेविटाट में खामियां बड़ा कारण हैं. हेविटाट नष्ट होने से प्रजनन स्थलों में कमी आ रही है. वन्यजीवों के हेविटाट नदियां, जल निकाय, वेटलैंड्स, प्राकृतिक घास के मैदान और जंगल हैं, जो आज सुरक्षित नहीं हैं.
संकटग्रस्त पक्षियों पर हो रहा है शोध रामसर साइट सूर सरोवर वर्ड सेंचुरी और जोधपुर झाल के संकटग्रस्त पक्षियों पर डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. शशिकांत गुप्ता के निर्देशन में निधि यादव सूर सरोवर कीठम में ओरिएंटल डार्टर पर पीएचडी कर रही हैं. डॉ. मीरा के निर्देशन में जोधपुर झाल के संकटग्रस्त पक्षियों पर समी सैयद पीएचडी कर रहे हें. वहीं, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर कमलेंद्र सिंह ने बताया कि आगरा में पिछले दो साल से हिमालय ग्रिफन वल्चर भी रिकार्ड किया है. इस साल भी ये आगरा और भरतपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में देखा गया. साल 2022 में एक सिनेरियस वल्चर भी रिकार्ड हुआ था. वहीं, सफेद गिद्ध शहर में दिखना बंद हो गया है.
सारस क्रेन की संख्या पड़ोसियों से काफी कम उत्तर प्रदेश में राज्य पक्षी सारस क्रेन की आबादी देश में सबसे अधिक है. लेकिन आगरा की स्थिति बहुत निराशाजनक है.
कहां कितने इजिप्सियन वल्चर
इजिप्सियन वल्चर की संख्या तेज गतिसे कम हुई है. साल 2017 में लगभग 50 थे, जो साल 2018 में घटकर 16 रह गए, जिसमें बाह में पांच, कीठम में केवल दो रिकार्ड किए थे. साल 2019 में आगरा, बाह व अन्य जगह 12 वल्चर रिकार्ड हुए.