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यूपी सरकार ने नहीं सुनी पुकार, गांव वालों ने पुल की मरम्मत करवाकर पेश की मिसाल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी स्मार्ट सिटी लखनऊ में एक ऐसा पुल भी है, जो कि कई सालों से जर्जर है. इसकी मरम्मत आज तक किसी ने नहीं करवाई. आलम यह है कि लोग अपनी जान हथेली पर रखकर इसका इस्तेमाल करते हैं. चलते वक्त उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि वे पूरा पुल सही सलामत पार कर पाएंगे या नहीं. इस पुल का नाम है पीपे वाला पुल. इस पुल की मरम्मत आम जनता ने अपनी सुविधा के लिए पांच हजार रुपये का चंदा इकट्ठा करके करवाई है.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम की नाव है, वह भी जर्जर है. पुल के निर्माण के लिए भी पैसे नहीं दिए गए. इस वजह से चंदा इकट्ठा करके इसकी मरम्मत कराई गई है. आपको जानकर हैरानी होगी कि गोमती नदी में जलस्तर बढ़ जाने की वजह से साल में चार महीने इसे हटा दिया जाता है. सिर्फ आठ महीने ही यह पुल रहता है. अंग्रेजों के जमाने का बना यह पुल फैजुल्लागंज को गऊ घाट से जोड़ता है. इसके अलावा कई दूसरे गांव जैसे दाउदनगर, दौलतगंज और घैला को गऊ घाट (मेहंदी घाट) से जोड़ने का काम भी यही पुल करता है. लोगों के लिए यह पुल आने और जाने के लिए एकमात्र लाइफ लाइन था.
इस पुल से रोजाना बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, छोटे बच्चे, बड़े बूढ़े और जवान सभी स्कूल का इस्तेमाल करते हैं. अगर यह पुल न हो तो करीब इन सभी क्षेत्रों के लोगों को गोमती के गऊघाट तक आने में 14 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ता है. किसी की कोई मदद न मिलने की वजह से लोगों ने पैसा इकट्ठा करके इसकी मरम्मत तो करा दी, लेकिन इसकी जो लकड़ियां है वे जर्जर हैं. हर जगह से हिल रही हैं. थोड़ी सी भी लापरवाही होते ही नदी के अंदर गिरने का खतरा बना हुआ है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस पुल के निर्माण की पूरी उम्मीद है. यहां पर पांच मौतें हो चुकी है. पांच लोगों के जान गंवाने के बावजूद अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव अजय त्रिपाठी ने कहा कि इस पुल के निर्माण के लिए वह तमाम मंत्रियों और अधिकारियों से मिल चुके हैं. सभी की ओर से आश्वासन मिला है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. स्थानीय लोगों ने खुद चंदा इकट्ठा करके इसकी मरम्मत कराई. गांव का इलाका है, गरीब लोग हैं शायद इसी वजह से कोई ध्यान नहीं दे रहा है. कितनी शर्म की बात है कि नगर निगम की ओर से पैसा तो दिया गया, लेकिन ठेकेदार ने पैसा पुल की मरम्मत में नहीं लगवाया. इस वजह से लोगों को अपनी सुविधा के लिए खुद ही पुल बनाना पड़ा है. इस साल तक अगर नए पुल का निर्माण नहीं हुआ तो उसी जगह पर बैठकर बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा.
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।