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सिलगन रेलवे क्रासिंग पर बनाया गया अंडरब्रिज राहगीरों के लिए बवाल-ए-जान साबित हुआ
झाँसी: सुगम यातायात के लिए सिलगन रेलवे क्रासिंग पर बनाया गया अंडरब्रिज राहगीरों के लिए बवाल-ए-जान साबित हो रहा है. पुलिस के मध्य भाग की सड़क के बड़े और गहरे गड्ढ़े वाहन चालकों के लिए मुसीबत हैं. इनसे बचकर निकलने के प्रयास में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. पिछले वर्षों में रेलवे क्रासिंग पर निर्बाध आवागमन के लिए अंडरब्रिज बनाने का अभियान चलाया गया था. इस क्रम में ललितपुर राजघाट रोड स्थित सिलगन रेलवे क्रासिंग पर एक अंडरब्रिज बनाया गया. ललितपुर से जाते समय इसको पार करने के बाद राजघाट व दैलवारा के लिए आवागमन होता है. भारीभरकम वाहनों के आवागमन व घटिया गुणवत्ता में से किसी एक के कारण अंडरब्रिज की सड़क बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है.
मेडिकल कालेज में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों व तीमारदारों पर जरा सी चूक भारी पड़ रही है. इसके मुख्य गेट पर ऊबड़ खाबड़ पाइपों में फंसकर वह अपने हाथ पांव तुड़वा रहे हैं. हर रोज आधा दर्जन से अधिक व्यक्ति घायल व चोटिल होते हैं लेकिन जिम्मेदार गेट के पास सड़क की मरम्मत को चेत नहीं रहे हैं.
मान्यवर कांशीराम संयुक्त जिला चिकित्सालय को मेडिकल कालेज में तब्दील हुए लगभग एक वर्ष बीतने वाला है. इस बदलाव के साथ ही यहां की स्वास्थ्य सेवाओं में धीरे-धीरे सुधार होता जा रहा है. चिकित्सकों व उपकरणों की कमी दूर की जा रही है. उधर, मेडिकल कालेज के तीन सौ बेड़ का अस्पताल व रेजीडेंस बिल्डिंग का निर्माण कार्य जारी है. स्थितियों से स्पष्ट है कि यहां की स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक बदलाव हो रहे हैं. बावजूद इसके इसके मुख्य गेट व कैंपस जाने वाले मार्ग की स्थिति ठीक नहीं है. मुख्य गेट पर लगे लोहे के पाइपों में से कई जमीन के भीतर और कुछ ऊपर की तरफ आ गए हैं.
इन दोनों में से कई पाइप बीच से टूट चुके हैं. इस कारण गेट पर सड़क का हिस्सा असमतल और खतरनाक भी हो चुका है. पैदल आने जाने वाले मरीज व तीमारदार गेट को बिना हाथ पकड़े पार नहीं करते हैं. कई बार पैर फिसलकर पाइप के बीच में फंस जाता है. जिस कारण लोग चुटहिल हो जाते हैं. संभलकर निकलने के प्रयास में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. लोहे के पाइप से होकर गुजरने में चूक भारी पड़ जाती है.
एंबुलेंस से अस्पताल में दाखिल होते याफिर झांसी रेफर के बाद जाते मरीजों को जोरदार झटका असहनीय पीड़ा देता है. सबसे अधिक दिक्कत बुजुर्ग मरीजों को होती है.