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गेट और प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स बंद होने पर ही आगे बढ़ेगी ट्रेन, कोहरे में नहीं थमेगी रफ्तार

देश की पहली रीजनल रैपिड रेल के ट्रायल रन की तैयारी तेज हो गई है। यह ट्रायल रन गाजियाबाद में साहिबाबाद से दुहाई डिपो के बीच होगा। इसके लिए सिग्नलिंग उपकरणों को इंस्टॉल करने की प्रक्रिया मंगलवार से प्रारंभ कर दी गई है। दावा है कि अगस्त-2022 में पहली रैपिड रेल का ट्रायल रन हो जाएगा और मार्च-2023 में फर्स्ट फेज में ट्रेन पूरी तरह दौड़ने लगेगी। पहली रीजनल रैपिड रेल को चलाने में भारत में सबसे उन्नत तकनीक वाली प्रणाली प्रयोग में लाई जाएगी, ऐसा दावा NCRTC ने किया है।
हाईफ्रीक्वेंसी और थ्रूपुट बढ़ेगी
रैपिड रेल चलाने के लिए यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ETCS) के हाइब्रिड लेवल-3 तकनीक का उपयोग किया जाएगा। हालांकि शुरुआत में इसका लेवल-2 प्रयुक्त होगा। यह दुनिया के सबसे उन्नत सिग्नलिंग और ट्रेन कंट्रोल सिस्टम में से एक है। भारत में ऐसा पहली बार होगा कि लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (LTE) रेडियो पर नवीनतम ETCS मानक, डिटिजल इंटरलॉकिंग और ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन का प्रयोग होगा। यह ट्रेनों की हाईफ्रीक्वेंसी, बेहतर हेडवे और थ्रूपुट बढ़ाने में कारगर साबित होगा। यह सिस्टम ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन (ATO) फंक्शनैलिटी से लैस होगा, जो ट्रेनों के ट्रैक्शन सिस्टम, एक्सेलेरेशन और ब्रेकिंग सिस्टम को नियंत्रित करने में काम आएगा।
स्टेशन की स्क्रीन डोर्स पर दिखता रहेगा ट्रेन संचालन
यह एक रेडियो टेक्नोलॉजी आधारित सिग्नलिंग प्रणाली है। इसमें न केवल ट्रेन की गति का अनुमान लगाया जा सकता है, बल्कि यात्रियों की सुविधा के अनुसार अन्य बदलाव भी किए जा सकते हैं। सभी प्रकार के मौसम (कोहरा-बारिश) में ये सिग्नल निर्बाध यात्रा सुरक्षित कराएंगे। इसके अलावा, इस पूरे सिग्नलिंग सिस्टम को प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स के साथ भी सिंक (SYNC) किया जाएगा, जो सभी स्टेशनों पर दिखेगा।
नई तकनीक से हादसे भी रुकेंगे
NCRTC प्रवक्ता पुनीत वत्स ने बताया, शुरुआत में हम ETCS के लेवल-2 को पहली बार लागू करेंगे। इसका मतलब यह है कि ट्रेन का दरवाजा और प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स पहले बंद किए जाएंगे, तब ट्रेन आगे चलेगी। आपने अक्सर तमाम वीडियो देखे होंगे कि ट्रेन पर चढ़ने या उतरने की जल्दबाजी में कुछ यात्री प्लेटफार्म और ट्रेन के बीच में फंस जाते हैं और हादसे हो जाते हैं। इसके मद्देनजर यह तकनीक अपनाई जा रही है। साधारण शब्दों में कहें तो दो दरवाजे होंगे। पहला दरवाजा प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स का होगा और दूसरा दरवाजा ट्रेन का। इससे कोई हादसा नहीं होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।
सिग्नल और मशीनें लगते ही होगा ट्रायल रन
गाजियाबाद के दुहाई डिपो पर फिलहाल ट्रेनों के सिग्नल और टेलिकॉम के लिए इनडोर इंस्टॉलेशन, आउटडोर इंस्टॉलेशन, केबल बिछाने और सिस्टम टेस्टिंग का काम चल रहा है। यह पूरा होने के बाद ही ट्रायल रन शुरू हो सकेगा। इंडोर इंस्टॉलेशन में सिग्नल की मशीनें कमरों में लगाई जा रही हैं, जिनसे ये सिग्नल चलेंगे। आउटडोर इंस्टॉलेशन में प्वाइंट मशीन (ट्रैक चेंजिंग डिवाइस), सिग्नल (ट्रेनों की आवाजाही के लिए लाल और हरी बत्ती का सिग्नल) और एक्सल सेंटर (ट्रेनों की लोकेशन दिखाने वाला उपकरण) है। फर्स्ट फेज में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो स्टेशन हैं। इनका निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है। सिग्नलिंग का काम पूरा होते ही ये स्टेशन ट्रायल रन के लिए तैयार हो जाएंगे।