उत्तर प्रदेश

पुरातत्व विभाग की टीम ने की स्थलीय जांच, नपाई के साथ जुटाए तत्थ

Admin Delhi 1
23 Dec 2022 11:59 AM GMT
पुरातत्व विभाग की टीम ने की स्थलीय जांच, नपाई के साथ जुटाए तत्थ
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मवाना: हस्तिनापुर महाभारत कालीन धरती अंतर्गत आने वाले मवाना में स्थित गांधारी पक्का तालाब में निकली सुरंग का रहस्य जानने के लिए पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के साथ देर शाम जिला स्तरीय पुरातत्व विभाग की छह सदस्यीय टीम अधिकारियों ने रहस्यमय सुरंग के बाहरी हिस्से की नपाई एवं खुदाई कर तथ्यों को जुटाये। टीम ने बताया कि गांधारी पक्का तालाब मध्यकाल से जुड़ा हुआ है।

हालांकि बड़े बुजुर्गों का कहना है कि उक्त ऐतिहासिक गांधारी पक्का तालाब महाभारत कालीन धरती से जुड़ा हुआ है। पांडवों को अज्ञातवास देने के दौरान बनाई गई लाक्ष्यगृह सुरंग से जुड़ी है। कौरवों से बचने के लिए पांडवों ने बरनावा से लेकर हस्तिनापुर तक सुरंग बनाई थी। तालाब में प्राचीन सुरंग मिलने की जानकारी पर एसडीएम अखिलेश यादव एवं सीओ आशीष शर्मा ने तालाब का स्थलीय निरीक्षण कर पूरी पड़ताल की।

एसडीएम ने जिला प्रशासन को जानकारी देते हुए पुरातत्व विभाग की टीम को भेजने की बात कही। देर शाम गांधारी पक्का तालाब पर पहुंची पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने बारिकी से जांच कर तथ्य जुटाते हुए तालाब की खुदाई एवं नपाई की। इस मौके पर मौजूद लोगों ने तालाब का इतिहास बताते हुए खुदाई की मांग उठाई है।

मवाना-हस्तिनापुर रोड स्थित गांधारी पक्का तालाब महाभारत कालीन इतिहास का साक्षी है। गत दिनों से नगरपालिका प्रशासन गांधारी तालाब का सौंदर्यीकरण के लिए सफाई एवं खुदाई का काम करा रहा है। देर शाम तालाब में खेल रहे युवाओं की टोली की नजर सुरंग की तरफ दौड़ गई। जिसके बाद आसपास के लोग मौके की तरफ दौड़ पडेÞ थे। एसडीएम अखिलेश यादव एवं सीओ आशीष शर्मा ने ऐतिहासिक गांधारी पक्का तालाब पर पहुंचे और तालाब किनारे मिली प्राचीन सुरंग का स्थलीय निरीक्षण किया।

इस मौके पर आसपास के लोगों ने तालाब का इतिहास बताते हुए एक नही अलग-अलग सुरंग होने की बात कही। इस दौरान सुरंग के ऊपर बन रहे मकानों के कागजात की जानकारी एसडीएम अखिलेश यादव ने स्थानीय लोगों से ली। स्थलीय निरीक्षण करने के बाद एसडीएम अखिलेश यादव ने उच्चाधिकारियों को जानकारी देते हुए पुरातत्व विभाग की टीम को भेजने के बात कही। देर शाम जिले से पहुंची पुरातत्व विभाग की छह सदस्यीय टीम ने सर्वप्रथम स्थानीय लोगों से बातचीत की।

टीम मे शामिल पुरातत्व विभाग के सीनियर एवं सहायक आकोर्लोजिस्ट भूपेन्द्र सिंह फोनिया, वीके सिंह, मुकेश कुमार, अमित लखवाल आदि छह सदस्यीय टीम ने फीते से नपाई कर सुरंग के बाहरी हिस्से की खुदाई कर तथ्यों को जुटाया। टीम में शामिल अधिकारियों ने बताया कि गांधारी पक्का तालाब मध्यकाल से जुड़ा हुआ है। फिलहाल सुरंग के साथ ड्रेनेट सिस्टम से जोड़ कर देखा जा सकता है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट डीएम दीपक मीणा को प्रेषित करने के बाद अग्रिम कार्रवाई सुनिश्चित करने की बात रखी।

90 वर्षीय वृद्धा बोली-रानियां स्नान कर सुरंग से जाती थी हस्तिनापुर:

हस्तिनापुर महाभारत कालीन धरती किसी नाम से परिचित की मोहताज नहीं है। आपको बता दे कि हस्तिनापुर की महाभारत कालीन धरती पर पांडव-कौरव का युद्ध इतिहास का साक्षी है। इसको लेकर लाक्ष्यगृह से जुड़े पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान जमीन के नीचे बनी सुरंग का संरक्षण लेकर हस्तिनापुर पहुंचे थे और रानियां भी इनके साथ हिस्सेदारी निभाती थी। मवाना की रहने वाली 90 वर्षीय वृद्धा रामरती वर्मा के आवास पर पहुंचे जनवाणी संवाददाता ने गांधारी पक्का तालाब का इतिहास जाना तो पक्का तालाब से जुड़े सभी तथ्यों की पड़ताल एकाएक खुलकर सामने आ गयी।

वृद्धा महिला रामरती वर्मा पत्नी रामस्वरूप दयालु वर्मा ने जनवाणी संवाददाता से रूबरू होकर बताया कि गांधारी पक्का तालाब उनकी शादी होने से पहले का है। कहा कि मध्यकाल में तालाब का दृश्य अलौकिक एवं देखने वाला था। उनके याद में धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी एवं दूसरी रानी द्रोपदी के साथ अन्य सखियां इसी तालाब पर स्नान करने के लिए आती थी, जोकि लौकिक धारा से जुड़ते हुए दिखाई दिया करता था। इस गांधारी पक्का तालाब में निकली सुरंग के रास्ते से रानियां सुबह-शाम आया करती थी और तालाब में स्नान 12 दरी में पहुंचकर अपने नये कपडेÞ बदल सुरंग के रास्ते हस्तिनापुर के लिए रवाना हो जाती थी। गांधारी पक्का तालाब का इतिहास हस्तिनापुर से लेकर लाक्ष्यगृह से जुड़ा बताया जा रहा है।

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