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मां ने जो प्लॉट दूसरे को बेचा उसे बेटों ने हथियाया
कानपूर न्यूज़: यूं तो फर्जीवाड़े के कई मामले मिलीभगत के जरिए हुए मगर कुछ मामले ऐसे भी हैं जो चौंकाने वाले हैं. ऐसा ही एक मामला किदवई नगर का भी है. किदवई नगर वाई ब्लॉक स्कीम नंबर दो में प्लॉट नंबर 1367 का मूल आवंटन वर्ष 1982 में राजेश्वरी देवी के नाम हुआ था. वर्ष 1983 में उन्होंने यह प्लॉट किसी और बेच दिया. बाद में इनके बेटों विश्वनाथ त्रिवेदी, आनंद त्रिवेदी और भतीजे ज्ञानेंद्र ने मिलकर केडीए में यह आवेदन किया कि उनकी राजेश्वरी देवी का निधन हो गया है. लिहाजा इनके नाम प्लॉट कर दिया जाए. इसमें सच्चाई छिपाई गई. वर्ष 2012 में फर्जी अभिलेख लगाकर इन्होंने नामांतरण कराया और फिर उस प्लॉट को किसी और को बेच दिया. अब केडीए ने नामांतरण निरस्त कर दिया है. रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए वाद दाखिल किया है.
इन चार प्रकार से किए गए हैं फर्जीवाड़े:
● पारिवारिक सदस्य संख्या छिपाकर प्लॉट का नामांतरण अपने नाम कराना और बेच देना.
● जो प्लॉट या भवन पूर्व में बेचे जा चुके उनका फर्जी अभिलेख लगाकर नामांतरण कराना.
● ईडब्ल्यूएस भूखंड या भवनों के मूल आवंटी फर्जी तौर पर खुद बनकर नामांतरण कराना.
● परिवार में विवाद छिपाया और फर्जी अभिलेख लगाकर रजिस्ट्री करा ली.
यह केडीए उपाध्यक्ष का सीक्रेट मिशन क्लीन था. हम सभी ने नामांतरण और रजिस्ट्री कराने वालों के पतों पर स्पीड पोस्ट भेजकर जवाब देने के लिए बुलाया. पूरा मौका दिया. विज्ञापन तक निकलवाए. तमाम ने जवाब दिया ही नहीं. ओएसडी अवनीश सिंह की तरफ से एफआईआर कराई गई है. ऐसे मामलों में संलिप्त कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है.
- सत शुक्ला, ओएसडी कानपुर विकास प्राधिकरण