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पांच सौ मिलियन डॉलर से प्रदेश के ग्यारह जनपदों चलेगी योजना
झाँसी न्यूज़: जुताई, बुआयी व फसलों की देखरेख में ही किसान सिर्फ पसीना नहीं बहाएंगे बल्कि उपज को पैकेजिंग व ब्रांडिंग के माध्यम से शानदार प्रोडेक्ट बनाएंगे और उसको बाजार में विक्रय करके बड़ा लाभ भी कमाएंगे. यह परिवर्तन लाने की जिम्मेदारी विश्व बैंक ने सम्भाली है. प्रदेश के 11 जनपदों में इसकी औपचारिक शुरुआत भी हो चुकी है.
किसानों की आय में इजाफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. जिसको पूरा करने के लिए विभिन्न विभागों ने कई योजनाएं संचालित कर रखी हैं. किसान सम्मान निधि के माध्यम से किसानों को सीधे आर्थिक मदद की जा रही है. लेकिन, इससे किसानों के स्वयं के बूते उनकी बढ़ती आमदनी से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है. इसीलिए सरकार इस तरह की योजनाओं को लागू करना चाहती है, जिसके तहत किसान अपनी उपज के जरिये संपन्न व खुशहाल हो सकें. इस मंशा को वास्तविकता में तब्दील करने के लिए विश्व बैंक ‘उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल इंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथिंग प्रोजेक्ट’ 11 जनपदों में लागू करने वाला है. जिसमें किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा बागवानी, मसाले, औषधि, फूल, सब्जी, मोटा अनाज से भी जोड़ा जाएगा, जिससे किसान के पास उपज की विविधता हो और वह अधिक से अधिक लाभान्वित हो सके. इस पैदावार के सुरक्षित भंडारण को संसाधन तैयार किए जाएंगे. साथ ही अलग-अलग प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना करके उनमें दलिया, आटा, मैदा, सूजी, बेसन, दालें, तेज, केचप, सॉस, अचार बनाकर शानदार पैकेजिंग करके ई-मार्केट के माध्यम से बाजार में ब्रांडिंग की जाएगी. इससे होने वाली आमदनी किसानों को बांटी जाएगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में अमूलचूल बदलाव आएगा. यही नहीं, सफलतापूर्वक यहां तक पहुंचने के बाद किसानों को बिस्किट, टोस्ट आदि उत्पादनों से भी जोड़ने की योजना है.
बुंदेलखंड स्थित ललितपुर व झांसी जनपद की मछली सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न राज्यों में काफी महंगे दामों पर बिकती है. इसकी डिमांड भी बनी रहती है. इसलिए जनपद में मछली के बीज का उत्पादन, हेचरी व नर्सरी की स्थापना पर फोकस होगा. मूल्य संवर्धन के लिए इसकी प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना होगी. क्षेत्र के हिसाब से ग्रेडिंग व पैकेजिंग करके इनको बाजार में बेचा जाएगा. लोकलस्तर पर बिक्री को दुरुस्त करने की व्यवस्था करायी जाएगी. मूल्य संवर्धन के लिए मछली से दवाई निर्माण की संभावनाओं को भी टटोला जाएगा. इसके अलावा मुर्गी व बकरी पालन को भी इस क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाएगा. डेयरी पर भी काम होगा.
मिलिट्स पर होगा विशेष फोकस मोटे अनाज की गुणवत्ता व पौष्टिकता दुनिया जान चुकी है. विश्व बाजार में बढ़ती मांग के बाद श्री अन्ना के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विश्व बैंक ने विशेष तैयारी कर रखी है. ‘उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल इंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथिग प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत किसानों को ज्वार, बाजरा, कोदो, सांबा, कंगनी, रागी, चीना आदि मोटे अनाज की खेती करायी जाएगी. अच्छी पैकेजिंग करके इस उपज को भी मार्केट में उतारा जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी.
प्रदेश के इन जनपदों में लागू होगा कार्यक्रम किसानों की खेतीबाड़ी के साथ उनकी आमदनी में परिवर्तन लाने के लिए विश्व बैंक झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा, जालौन, वाराणसी, मिर्जापुर, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, संत कबीरनगर में ‘उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल इंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथिग प्रोजेक्ट’ लागू कर रहा है.