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अलीगढ़: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम में 100 दिन गारंटी काम की योजना की हवा निकल चुकी है. मजदूरों को सौ दिन काम देने का दावा किया जाता है, मगर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. ज्यादातर मजदूर कुछ ही दिन काम कर योजना से किनारा कर रहे हैं.
ऐसा हम नहीं बोल रहे बल्कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों के आंकड़े बता रहे हैं. पिछले दो साल में सौ दिन गारंटी काम में मजदूरों की संख्या चार हजार से कम ही रही है, जबकि कुल मजदूर एक लाख से ऊपर हैं. इस समय चुनाव के चलते भी कोई नया काम नहीं चल रहा है.
बीते चार सालों में करीब चार लाख जॉबकार्ड धारकों में से महज 7756 ने ही सौ दिन का काम पूरा किया है. वर्ष 2023-24 में पौने दो लाख जॉब कार्डधारक में 3879 ने ही काम किया. इस तरह मजदूरों की संख्या अधिक होने के बाद भी सौ दिन के क्रम को अधिकतर मजदूर पूरा नहीं पाए. कोई 80 कोई 85 तो कोई 50 दिन में ही इस योजना से किनारा कर गया. वित्तीय वर्ष 2022-23 में मजदूरों की संख्या 94810 थी जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में महिला पुरुष मिलाकर कुल मजदूरों की संख्या 84492 है. योजना के प्रति रुझान कम होने से बीते दो सालों में 10 हजार से अधिक मजदूरों की संख्या में गिरावट आई है. मजदूरों की संख्या में आई गिरावट का बड़ा कारण कम भुगतान है.
मजदूरी दर की बात करें तो मनरेगा के तहत एक मजदूर को 2 रुपये की मजदूरी मिलती है, जो इस वर्ष मात्र सात रुपये की बढ़ोत्तरी करते हुए 237 रुपये कर दी गई है.
ऊंट के मुंह में जीरे क समान हुई बढ़ोत्तरी को देख मजदूर खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है. इसके चलते मजदूर बीच में ही काम छोड़ कर बाहर काम करने चले जाते हैं. विभाग की माने तो श्रमिकों को सौ दिन काम दिया जाता है. मगर, वह बीच में ही काम छोड़कर चले जाते हैं. पूर्व में काम छोड़ने वाले मजदूरों के बारे में पता कराया तो उनके जिले से बाहर काम करने की जानकारी मिली.